नजरिया. एमपी में मंत्रिमंडल विस्तार होने जा रहा है. इस विस्तार को लेकर जो राजनीतिक गतिविधियां लंबे समय से चल रही थी, उनसे साफ है कि यह काम इतना आसान नहीं था?

हालांकि, अब तक की सारी राजनीतिक गतिविधियां सियासी पर्दे के पीछे चलती रहीं हैं, लेकिन नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद उभरने वाले असंतोष को दबाना इतना आसान नहीं होगा!

कारण? पद कम हैं और दावेदार बहुत ज्यादा हैं!

सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने कई चुनौतियां हैं....

एक- अपने पुराने वरिष्ठ साथियों को संतुष्ट करना.

दो- केन्द्र की ओर से प्रस्तावित लोगों को एडजस्ट करना.

तीन- सिंधिया समर्थक नए सियासी मित्रों को संतुष्ट करना.

चार- मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद उभरने वाले असंतोष को खत्म करना.

यही नहीं, सबसे बड़ी चुनौती तो यह है कि अगले उप-चुनाव में, बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए जरूरी कामयाबी दिलाना?

देखना दिलचस्प होगा कि समर्थकों और विरोधियों के बीच में अपने आप को सियासी तौर पर सुरक्षित कैसे रख पाते हैं सीएम शिवराज सिंह चौहान!

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