पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चोहान के मंत्रीमंडल विस्तार में जबलपुर को हाशिए पर रख दिया गया है, जबकि जबलपुर की आठ विधानसभा से चार विधायक भाजपा के है, विस्तार को लेकर शुरु से यही कयास लगाए जा रहे थे कि जबलपुर से एक कैबिनेट मंत्री तो बनाया ही जाएगा, लेकिन आज सूची जारी होने के बाद जबलपुर की जनता को मायूस होना पड़ा. 

बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर शुरु से सियासी सरगर्मी बनी रही, आमआदमी अपने अपने स्तर पर कयास लगा रहा था, सीएम शिवराजसिंह चौहान द्वारा जो सूची केन्द्रीय नेतृत्व को सौंपी गई उसे रिजेक्ट कर नई सूची तैयार की गई जिसमें शिवराजसिंह चौहान के चहेतों को कोई जगह नहीं मिली, यहां तक कि जबलपुर से भी एक भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया, जबकि कयास यही लगाए जा रहे थे कि जबलपुर से अजय विश्रोई व अशोक रोहाणी की मजबूत दावेदारी है, इसके बाद भी जबलपुर की उपेक्षा की गई.

यहां तक कि जबलपुर से भाजपा के विधायक दिल्ली व भोपाल तक डेरा डाले रहे, लेकिन उनकी आशा भी निराशा में बदल गई. जबलपुर की उपेक्षा को लेकर आज आमजन में तरह तरह की प्रतिक्रियाएं रही, लोगों का यहां तक कहना था कि कमलनाथ की सरकार में जबलपुर से दो कै बिनेट मंत्री बनाए गए थे. गौरतलब है कि जबलपुर से विधानसभा में 6 से 7 विधायकों ने जगह बनाई, इसके पहले भी अजय विश्रोई, शरद जैन मंत्री रहे लेकिन इस बार मंत्रीमंडल विस्तार में जबलपुर को उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा है.

जिसकी एक वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को मंत्रीमंडल में स्थान देना, उपचुनाव में भाजपा को अपना बहुत साबित करना है, इन सारे राजनैतिक गणितों को देखते हुए मंत्रीमंडल का विस्तार किया गया है. चर्चाओं में यह बात भी सामने आई है कि विजयराघवगढ़ से विधायक संजय पाठक उन्हे भी इस बात निराशा ही हाथ लगी है जबकि वे शिवराजसिंह चौहान के खास में गिने जाते है और मार्च माह में हुए सियासी गठजोड़ में उनकी भी अहम भूमिका रही. 

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