जयपुर. प्रदेश में 1974-1975 में ब्राह्मण समाज के सशक्तीकरण के साथ सर्वसमाज में समन्वय, सहयोग व सौहार्द कायम करने के उद्देश्य से गठित राजस्थान ब्राह्मण महासभा की स्थापना के 46 वर्षो का सफर पूरा हो गया है. महासभा ने इस दौरान ब्राह्मण समाज के आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ पुरातन संस्कृति, धर्म, साहित्य एवं तत्वज्ञान आदि को सुरक्षित रखते हुए  शिल्प, ज्योतिष, वैदिक, विज्ञान, कृषि, व्याकरण आदि सर्व समाजोपयोगी विद्याओं का प्रचार करते हुए पुरातन कुरीतियों के समाधान का मार्ग प्रशस्त किया है.

सामाजिक उत्थान के महत्वपूर्ण अंगों स्कूल, छात्रावास, औषघालय, धर्मशाला, अस्पताल सहित कृषि क्षेत्र, शिल्पकला, उद्योग आदि से सम्बद्ध विविध उपयोगी मार्गदर्शन संस्थानो का निर्माण करवाते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन किया है. 1974-75 में राजस्थान के पहले शिक्षा मंत्री व राजस्थान लोग सेवा आयोग के पहले अध्यक्ष रहे देवीशंकर तिवाड़ी, सूत्रघार व अग्रज वैद्य भैरूलाल भारद्वाज, वर्तमान अध्यक्ष भंवरलाल शर्मा, लक्ष्मीनारायण शांडिल्य, दुर्गाशंकर व्यास, कन्हैयालाल मिश्र आदि समाज के जागरूक सदस्यो ने महासभा की नींव रखकर नारायणीमाता में पहला अधिवेशन आयोजित किया.

युवापंक्ति के जागेश्वर तिवाड़ी, लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, महेश मामा, कैैलाश शर्मा, किशोर शर्मा आदि ने वरिष्ठ समाजजनो के निर्देशन में सक्रियता से कार्य किया. प्रदेश के विविध क्षेत्रों से सत्यसर्वेन्द्र भारद्वाज व राजेन्द्र शर्मा कोटा, ओमप्रकाश शर्मा बून्दी, लक्ष्मीनारायण द्विवेदी बांसवाड़ा, ज्वालाप्रसाद शर्मा झालावाड़, हस्तीमल सारस्वत व घनश्याम ओझा जोघपुर, श्यामसुन्दर दुलानी बाड़मेर, रतनलाल जलघारी सीकर, निरंजननाथ आचार्य बीकानेर, बाबुलाल शर्मा अलवर, दाउदयाल शर्मा व जगनप्रसाद शर्मा धौलपुर, बाबुलाल शर्मा टौंक, जगदीशप्रसाद शर्मा व चन्द्रशेखर शर्मा भीलवाड़ा आदि प्रतिनिधियों की प्रभावी भूमिका रही.

प्रदेश में महासभा के पंजीकरण के बाद ब्राह्मण समुदाय को जोड़ने सदस्यता अभियान का संचालन हुआ और आज प्रदेश के हर जिले व इकाई स्तर पर महासभा का सशक्त संगठनात्मक ढांचा प्रभावी ढंग से समाज हित के काम कर रहा है. जागरूकता संचार को लेकर ब्रह्मघोष प्रकाशन व अन्य सामाजिक कार्यक्रमों की शुरूआत हुई जिसमें तत्कालीन संस्कृत अकादमी के अध्यक्ष गंगाघर भट्ट, कलानाथ शास्त्री, नवलकिशोर शर्मा सहित संस्थापक सदस्यों और युवाओं ने महत्वपूर्ण योगदान किया. महासभा के ऐतिहासिक सफर में पूर्व अध्यक्ष रमाकांत शर्मा, मातादीन शर्मा ने विशिष्ठ आयोजनों की परम्परा कायम की. 1994-95 से भंवरलाल शर्मा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल में कई उपलब्धियां दर्ज की हैं.

वर्तमान में वरिष्ठ पदाधिकारी व सकारात्मक सहयोग कर रहे प्रतिनिधि एसडी शर्मा, सुभाष पराशर, ओ.पी. शर्मा, राघेश्याम जैमीनी, वैघ हनुमानसहाय चोटिया, सुरेशचन्द्र जोशी, अश्विनी तिवारी, एसके शर्मा, रामावतार हेमानी, दिशान्त शर्मा, सुशील शर्मा, घनश्याम शर्मा, मोहनप्रकाश शर्मा, गोविन्द जोहरी, रमेश ओझा, जीके गौड, सुनील शर्मा, पूनमचन्द पारीक, कुलदीप शर्मा, शिवकुमार भारद्वाज, प्रभुदयाल शर्मा, बाबुलाल शर्मा, रोशन शर्मा, प्रेमपाल शर्मा, प्रेमसुख पारीक आदि प्रदेश व मुख्यालय जयपुर की व्यवस्थाओं को विभिन्न स्तरों पर प्रभावी बना रहे हैं, जिसमें सम्पूर्ण प्रदेश कार्यकारिणी की सक्रिय सहभागिता है. युवा प्रकोष्ठ प्रदेशाध्यक्ष मघुसूदन शर्मा एवं महिला प्रकोष्ठ अध्यक्षा अरूणा गौड़ सहित विभिन्न प्रकोष्ठों के प्रदेशाध्यक्ष आदि सक्रियता से जुटे है. पूर्व प्रमुख महामंत्री श्यामसुन्दर वशिष्ठ ने उपयोगी सेवायें दी. महासभा के लिये प्रदेशभर में प्रभावी सेवायें देने वाले समाजजनों की लम्बी सूची है, जो प्रदेश की 41 जिला इकाइयों, 705 खण्ड इकाइयों व एक लाख बयालीस हजार सक्रिय कार्यकर्ता समूह के माध्यम से समर्पण भाव से काम कर रही हैं.

महासभा अध्यक्ष भंवरलाल शर्मा के नेतृत्वकाल में ब्राह्मण महासभा की कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां दर्ज हैं. शर्मा 2012 से आल इण्डिया ब्राह्मण फैडरेशन का भी नेतृत्व करते हुए देशभर में ब्राह्मणों को संगठित करने के साथ समाज हितों के सरंक्षण हेतु प्रयासरत हैं.

प्रदेश की राजघानी जयपुर के विद्याद्यर नगर में छ हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में स्थापित भगवान परशुराम परिसर में सर्वप्रथम चन्द्रभानु शर्मा के सौजन्य से स्थापित छात्रावास व सभागार, इसके बाद क्रमशः बने अतिथि ग्रह, पुस्तकालय, सभी समाजों के विविध आयोजनों हेतु विशाल परिसर सहित क्रमशः विकसित हुई सुविधाओं के तहत वातानुकूलित सभागार, विद्यार्थी सुविधा केन्द्र, मार्गदर्शन सेवायें वर्तमान में उपलब्ध हैं. परिसर में सर्वसमाज के कुछ कार्यक्रमों के लिए निर्धारित सुविधायें निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं.

परिसर के विकास को प्रदेश के कई समाजजनों के सहयोग से सुसज्जित किया गया और कई तरह की तकनीकी व अन्य सुविधायें वर्तमान में उपलब्ध हैं. महासभा के महिला छात्रावास का कार्य निर्माण के अन्तिम चरण में है और इसके पूर्ण होने के बाद जयपुर में महिलाओं को भी छात्रावास सुविधायें उपलब्ध होंगी. महासभा के समृद्ध कार्यक्रमो की परम्परा 1980 से प्रारम्भ हुई और सामूहिक विवाह, सामूहिक यज्ञोपवित्र, राष्ट्र व समाजहित में महत्वपूर्ण विषयों पर चिन्तन व मनन हेतु विचार गोष्ठी श्रंखला, विविध तरह के चिकित्सा शिविर, रक्तदान कार्यक्रम, साहित्य निर्माण व वितरण, सूचना संचार, शैक्षिक मार्गदर्शन कार्यक्रम, रोजगार मार्गदर्शन कार्यक्रम, सामाजिक संवाद अभियान, कुरीति उन्मूलन कार्यक्रम, विभिन्न स्तरों पर ब्राह्मण प्रतिभाओं व विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानो का सम्मान करना, सभी ब्राह्मण समाजों को जोड़ने का अभियान जैसी गतिविधियों से महासभा से प्रदेश के ब्राह्मणों का जुड़ाव सुनिश्चित हुआ. सामूहिक आयोजनों की परम्परा तीन दशक पूर्व प्रारम्भ हुई जो आज हर स्तर पर विस्तारित हुई है.

भगवान परशुराम जयन्ती के आयोजनों को प्रभावी रूप देकर रैली, गोष्ठी, संवाद व समाज कल्याण संकल्प के अभियान स्थापना से प्रारम्भ किये जिसे वर्तमान में प्रभावी ढंग से पूर्ण किया जा रहा हैं. समस्त समाजोपयोगी कार्यक्रम अब वृहद स्तर पर नियमित रूप से चल रहे हैं.

महासभा ने राष्ट्रहित, सर्व समाजहित व समाजहित को ध्यान में रखकर समय समय पर विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखी और कई महत्वपूर्ण कार्य कियें जिससे सामाजिक समन्वय, सौहार्द व सहयोग भाव में बढ़ोतरी हुई. ब्राह्मण महासभा के विविध आयोजनो में देश व प्रदेश के गणमान्य प्रतिनिधि, विभिन्न स्तरो के समाज से जुड़े जनप्रतिनिधि, राजनैतिक दलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे पदाधिकारी आदि भी सामाजिक समन्वय, सौहार्द व सहयोग भाव को लेकर राजनीतिक व्यवस्थाओं से मुक्त होकर भाग लेते रहे हैं. देवीशंकर तिवाड़ी के ऐतिहासिक अभिनन्दन समारोह में तत्कालीन राज्यपाल चैन्ना रेड्डी ने भी शिरकत की थी.

महासभा के विभिन्न आयोजनो में जननेता, राजनेता, समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी व अपने क्षेत्रों के  विद्वजनों ने भाग लिया जिनकी सूची में गोकुलभाई भट्ट, दौलतमल भण्डारी, डाॅ. गिरीजा व्यास, नवलकिशोर कांकर, रामजीलाल शास्त्री, मोती दुर्गाशंकर व्यास, रतनशंकर गौतम, भानुकुमार शास्त्री, वेदरतन शर्मा, लक्ष्मीनारायण शर्मा, कीरीट उपाध्याय, राजेश्वर तिवाड़ी, रमाशंकर त्रिपाठी, ललित तिवाड़ी, भवानीशंकर शर्मा, नवलकिशोर शर्मा, कलानाथ शास्त्री, धर्मनारायण जोशी आदि मार्गदर्शक विद्वान शामिल हैं.

ब्रह्मघोष की प्रकाशन परम्परा को सतीश शर्मा, घनश्याम शर्मा आदि के नेतृत्व व बाबुलाल शर्मा, ब्रजमोहन शर्मा आदि के सहयोग से संपादक मण्डल ने प्रभावी ढंग से चलाया व अब जीके गौड़ द्वारा निर्वहित किया जा रहा हैं. स्थापना के बाद महासभा के कार्यक्रमों के सुचारू संचालन हेतु देवीशंकर तिवाड़ी व जागेश्वर तिवाड़ी ने भौतिक सुविधाओं की उपलब्धता के साथ हर तरह से सहयोग देकर आगे बढ़ाया. विभिन्न गतिविधियों के संचालन हेतु लाल बहादुर शास्त्री कालेज परिसर में स्थान उपलब्ध करवाया व संगठन को हर संभव मदद की.

महासभा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष व देवस्थान बोर्ड के निवर्तमान अध्यक्ष एसडी शर्मा, रूपनारायण शर्मा, चितरंजन शर्मा आदि ने महासभा परिसर में विभिन्न निर्माण कार्यो को सहयोग किया और मालवीया नगर में महिला छात्रावास को लेकर आरडी शर्मा व राघेश्याम जैमीनी ने सहयोग किया. महासभा की करोड़ों रुपये की सम्पतियों का प्रभावी प्रबन्धन प्रन्यास गठित कर किया जा रहा हैं. महासभा के प्रंातीय अधिवेशन जयपुर सहित संभागीय मुख्यालयों से लेकर दक्षिण राजस्थान के अंतिम छोर बांसवाड़ा तक आयोजित हो चुके हैं.

देश के 31 राज्यों के ब्राह्मण संगठनों की संयुक्त पहल आल इण्डिया ब्राह्मण फैडरेशन से ब्राह्मण महासभा सम्बद्ध हैं और राजस्थान के महासभा अध्यक्ष भंवरलाल शर्मा वर्तमान में इसका नेतृत्व कर रहे हैं. फैडरेशन में देशभर से समाजजनों का प्रभावी प्रतिनिधित्व है और केन्द्र व राज्य सरकारों के समक्ष फैडरेशन सर्वसमाज व सबके कल्याण के मुद्दे उठाकर राहतकारी निर्णय में जुटा है. केरल के डाॅ. प्रदीप ज्योति फैडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री व पंजाब के चन्द्रशेखर शर्मा कोषाध्यक्ष का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं. फैडरेशन के पूर्व अध्यक्ष कोटाशंकर शर्मा, रमेशचन्द्र शर्मा, देवेन्द्र शर्मा आदि सलाहकार मण्डल के सदस्य व मार्गदर्शक हैं. फैडरेशन के महिला प्रकोष्ठ अध्यक्षा एन मालिनी एवं युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष वायएन शर्मा हैं.

राजस्थान ब्राह्मण महासभा ने 2001 से आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्गे के हितों के संरक्षण हेतु आर्थिक आधार पर आरक्षण के आन्दोलन का शंखनाद किया और प्रदेशभर में इसे विस्तारित किया, इस आन्दोलन को फैडरेशन ने भी बाद में आगे बढ़ाकर राष्ट्रस्तर पर पहल की. नतीजन देश व प्रदेश में आर्थिक आधार पर आरक्षण जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था कायम हुई. राजस्थान में आर्थिक आरक्षण की कमियों को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भेंट कर प्रदेशाध्यक्ष भंवरलाल शर्मा ने दूर करवाया और सही अर्थो में यह आर्थिक आरक्षण कानून लागू हुआ जिसे अन्य प्रदेशों में लागू करवाने के अभियान को सफलता मिल रही है.

राष्ट्रव्यापी अभियान के माध्यम से आर्थिक आरक्षण कानून बनवाने की सार्थक पहल फैडरेशन ने की तो कई राज्यों में ब्राह्मण वेलफेयर कोरपोरशन का गठन व ब्राह्मण कल्याण की कई योजनायें प्रवर्तित हुई हैं. फैडरेशन को देश के ब्राह्मण समाज की सशक्त पहल का दर्जा व सम्मान प्राप्त हैं. फैडरेशन में राजस्थान से अध्यक्ष भंवरलाल शर्मा के अलावा एसडी शर्मा, पूनमचन्द पारीक, मोहनप्रकाश शर्मा, बाबुलाल शर्मा, दीशान्त शर्मा उपाध्यक्ष, अश्विनी तिवारी राष्ट्रीय सचिव प्रशासन, रमेश ओझा, लोकेन्द्र शर्मा, महेश शर्मा राष्ट्रीय सचिव, निरंजन द्विवेदी राष्ट्रीय सचिव व मीडिया प्रभारी के दायित्व का निर्वहन वर्तमान में कर रहे हैं. जागेश्वर तिवाडी पूर्व में फैडरेशन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के दायित्व का निर्वहन कर चुके हैं.

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