प्रदीप द्विवेदी. ईश्वर कौन है? कहां है? ईश्वर की तलाश ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काम है!

मैं हिन्दू हूं! इसलिए हिन्दू नहीं हूं कि मैंने ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया, बल्कि इसलिए हिन्दू हूं कि मैंने हिन्दू धर्म को बहुत करीब से देखा, परखा और पहचाना है?

लेकिन, मैं धर्म निरपेक्ष हूं? मेरी धार्मिक मान्यता है- स्वधर्म स्वाभिमान, शेष धर्म सम्मान!

सबसे पहले मैंने देखा- धर्म और ज्योतिष के बीच गहरा संबंध है? धर्म में आस्था जगाने के लिए, धर्म को पहचानने के लिए, धर्म को समझने के लिए ज्योतिष शास्त्र की बहुत बड़ी भूमिका है!

बीसवीं सदी के सातवें दशक में मैंने देखा.... सवेरे-सवेरे गांव के कई लोग मेरे दादा पण्डित वासुदेव कृपाशंकर द्विवेदी के पास आते और सवाल करते- मेरी भैंस खो गई है, कब मिलेगी? किस दिशा में मिलेगी? दादा पंचांग देख कर बताते- इतने समय के बाद मिलेगी, इस दिशा में मिलेगी!

ऐसे रोज ढेरों सवाल और उनके सही जवाब!

नतीजा? मुझे समझ में आया कि हम तो केवल किसी चलचित्र के पात्र हैं, हमारे जीवन की कहानी तय है! हमारे कर्म की तो महज यह भूमिका है कि हम अपना रोल कितना बेहतर निभाते हैं?

लेकिन, इससे यह तय हो गया कि कोई शक्ति है, कोई सर्वशक्तिमान ईश्वर है, जो सारी सृष्टि को नियंत्रित कर रहा है, और.... यही से शुरू हुई ईश्वर की तलाश!

इन पचास वर्षों में धर्म-ज्योतिष से जुड़े अनेक लोगों से मिलने का अवसर मिला, असंख्य सच्ची-झूठी जानकारियों को समझने, परखने का मौका मिला, तो पता चला कि धर्म-ज्योतिष के क्षेत्र में कितनी हकीकत है, कितना फसाना है?

हिन्दू धर्म पर पहली बार भरोसा दिलाने वाला कोई ज्योतिषी, कोई धर्माचार्य नहीं, बल्कि शंकर बैल था, जिसने यह साबित कर दिया कि.... ईश्वर है! (जारी-2)

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