बीजिंग. चीन ने आधिकारिक तौर पर पहली बार माना कि उसका पूर्वी क्षेत्र में भूटान के साथ सीमा विवाद है. ऐसा तब हुआ है, जब अरुणाचल प्रदेश की सीमा भूटान से लगती है और यहां भी भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद है. चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि चीन-भूटान सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है और पूर्वी, मध्य और पश्चिमी भाग पर लंबे समय से विवाद चल रहा है.

मंदारिन में जारी किए बयान में आगे कहा गया है, तीसरे पक्ष को चीन-भूटान सीमा मुद्दे पर उंगलियां नहीं उठानी चाहिए. इसमें उसने भारत का बिना नाम लिए जिक्र किया है. भूटान और चीन ने अपने सीमा विवाद के मुद्दे को सुलझाने के लिए 1984 और 2016 के बीच 24 दौर की वार्ता की है. भूटानी संसद और इन बैठकों के अन्य सार्वजनिक रिकॉर्ड के अनुसार, चर्चा केवल सीमा के पश्चिमी और मध्य भाग के विवादों पर केंद्रित रही है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सीमा बातचीत में पूर्वी भाग को लेकर कभी कोई बात नहीं हुई.

उन्होंने कहा, दोनों पक्षों ने कहा था कि बातचीत को केंद्रीय और पश्चिमी वर्गों तक सीमित कर दिया गया था और यहां तक कि इस मुद्दे को निपटाने के लिए एक पैकेज डील पर भी बात चल रही थी. यदि पूर्वी भाग पर चीनी की स्थिति वैध थी, तो इसपर पहले भी बात की जानी चाहिए थी.

भूटान के एक विशेषज्ञ जिनकी बातचीत पर नजर रही है, उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से नया दावा है. दोनों पक्षों के बीच हुई बैठकों के मिनट्स हैं जो विवाद को केवल पश्चिमी और केंद्रीय भाग तक सीमित करते हैं. भारतीय अधिकारियों ने चीन के दावे पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

विवाद के वास्तविक क्षेत्रों का विस्तार किए बिना चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है, चीन और भूटान के बीच सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है. पूर्वी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में लंबे समय से विवाद चल रहे हैं और कोई नए विवादित क्षेत्र नहीं हैं. चीन हमेशा चीन-भूटान सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए तैयार है.

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