नजरिया. जैसी कि आशंका थी, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने बीजेपी का फायदा तो करवा दिया, लेकिन अब उनकी राजनीतिक राह ही मुश्किल होती जा रही है.

खबरें हैं कि एलजेपी के बागी नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चेबंदी की है. बिहार की राजधानी पटना में हुई बैठक के बाद प्रेस से बागी नेताओं ने कहा कि वे एनडीए के समर्थक हैं और इसी से जुड़े किसी दल में जायेंगे, मतलब- बीजेपी, जेडीयू आदि. इसके लिए बाक़ायदा एनडीए के घटक दलों से सम्पर्क साधने के लिए पांच-पांच नेताओं की दो अलग-अलग टीमें भी बनाई गई. खबरों पर भरोसा करें तो एलजेपी के पूर्व प्रदेश महासचिव केशव सिंह की अध्यक्षता में पटना में हुई बैठक में दलित सेना के प्रदेश महासचिव सुभाष पासवान, पूर्व प्रदेश महासचिव रामनाथ रमण, विश्वनाथ कुशवाहा, दीनानाथ क्रांति, पारसनाथ गुप्ता, अशोक पासवान, प्रो. एजाज उस्मानी, पारसनाथ गुप्ता, श्रम प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कौशल किशोर सिंह कुशवाहा, प्रदेश सचिव ई. विजय कुमार सिंह सहित दो दर्जन से अधिक नेताओं ने एलजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया तथा केशव सिंह के नेतृत्व में आस्था व्यक्त की है.

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी चिराग पासवान से कई नेता सहमत नहीं थे, किन्तु अब सियासी तस्वीर साफ हो चुकी है, लिहाजा, ये नेता आरोप लगा रहे हैं कि चिराग पासवान ने दिवंगत रामविलास पासवान के सपने को चकनाचूर किया है और पार्टी को गर्त में ले जाने का काम किया है.

उधर, सोमवार को एलजेपी की महत्वपूर्ण बैठक होगी. एलजेपी के प्रदेश प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल के हवाले से खबरों में बताया गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान द्वारा जिला अध्यक्षों के चयन एवं संगठन विस्तार के लिए गठित 15 सदस्यीय कमेटी की बैठक 18 जनवरी को एलजेपी कार्यालय में होगी. बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष सांसद प्रिंस राज करेंगे. इस बैठक में बिहार में एलजेपी के भविष्य की रणनीति पर चर्चा होगी.

सियासी सयानों का मानना है कि जिस तरह की राजनीति चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान की थी, उसने नीतीश कुमार का तो नुकसान किया, परन्तु इससे कई ज्यादा बड़ा नुकसान उन्होंने अपनी पार्टी का कर लिया है.

यही नहीं, बीजेपी के जिन नेताओं पर चिराग पासवान अंधा सियासी भरोसा दिखा रहे थे, अब चिराग के चुनाव में एक्सपोज हो जाने के बाद, वे भी उन्हें शायद ही महत्व दें!

बड़ा सवाल: वैक्सीनेशन पर सियासत, लेकिन इस पर राजनीति शुरू किसने की थी?

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