सामुद्रिक शास्त्र समुद्र के समान अथाह सागर है. इसमें जो जितना पारंगत होता है, वो उतना ही जान पाता है. हस्त-रेखा-विज्ञानं भी सामुद्रिक शास्त्र का ही एक भाग है. हाथों की लकीरों से भी व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है, पर हाथ की रेखाएँ सदैव एक समान नहीं रहतीं. यह रेखाएँ बनती-बिगड़ती रहती हैं, अतः भविष्य कथन में परिवर्तन आता रहता है. साफ, स्पष्ट रेखाएं जहाँ सुख-समृधि दर्शाती हैं, वहीँ अस्त-व्यस्त, कटी-टूटी रेखाएं खराब स्वास्थ्य व प्रगति में बाधा दिखाती हैं.

हथेली में बुध पर्वत:

कनिष्ठिका अंगुली (Little Finger) अथवा हाथ की सबसे छोटी अंगुली को बुध की अंगुली और इसकी जड़ के नीचे वाले भाग को बुध क्षेत्र, अथवा बुध पर्वत के नाम से जाना जाता है. प्रगति में सहायक बुध रेखा हथेली में किसी भी स्थान से निकल सकती है. इसकी सबसे अच्छी स्थिति यह मानी गई है, कि बुध रेखा की स्थिति भाग्य रेखा और जीवन रेखा से जितनी अधिक दूर हो, उतनी ही शुभ फलदायक होती है. बुध रेखा कहीं से भी जाए, इसका अंत कनिष्ठिका अँगुली पर ही होता है.

प्रगति में भी सहायक बुध रेखा हथेली में किसी भी स्थान से निकल सकती है. इसकी सबसे अच्छी स्थिति यह मानी गई है, कि बुध रेखा की स्थिति भाग्य रेखा और जीवन रेखा से जितनी अधिक दूर हो, उतनी ही शुभ फलदायक होती है. बुध रेखा कहीं से भी जाए, इसका अंत कनिष्ठिका अँगुली पर ही होता है.

बुध पर्वत को भौतिक संपदा तथा भौतिक समृद्धि का सूचक माना जाता है. यही कारण है, कि वर्तमान युग में इसका महत्व जरुरत से ज्यादा माना जाता है. बुध प्रधान व्यक्ति अपने जीवन में जिस कार्य में हाथ डालते हैं, उसमें पूरी-पूरी सफलता प्राप्त कर लेते हैं. ऎसे व्यक्ति उर्वर मस्तिष्क वाले, तीव्र बुद्धि तथा परिस्थितियों को भली-भाँति समझने वाले होते हैं. जीवन में जो भी काम करते हैं उसे योजनाबद्ध तरीके से ही करते हैं. दूसरी खासियत ये कि इनके हाथों से जो भी काम आरंभ होता है, वह पूरा होता ही है.

सबसे छोटी अंगुली के नीचे बुध पर्वत का क्षेत्र थोड़ा फूला-सा रहता है, लेकिन इस पर्वत का उभार अगर जरुरत से ज्यादा है, तो यह स्थिति उचित नहीं मानी जाती. जरुरत से ज्यादा विकसित यह क्षेत्र व्यक्ति को चालाक और धूर्त बनाता है. ऎसे व्यक्ति दूसरे लोगों को धोखा देने में माहिर होते हैं. अगर बुध पर्वत सामान्य रुप से विकसित है और उस पर वर्ग के आकार का चिन्ह दिखाई दे तो ऎसा व्यक्ति बहुत ऊँचे स्तर का अपराधी होता है. ऎसे व्यक्ति कानून तोड़ने में विश्वास रखते हैं और अस्थिर मति वाले ऎसे व्यक्ति समाज-विरोधी कार्य करने में चतुर होते हैं.

जिन हाथों में बुध पर्वत उचित रुप से विकसित होता है, वे मनोविज्ञान के क्षेत्र में माहिर होते हैं तथा सामने वाले व्यक्ति को किस प्रकार प्रभावित करना चाहिए. इस बात को भी ये अच्छी तरह से जान लेते हैं. ऎसे व्यक्ति व्यापार संबंधी कामों में विशेष रुप से सफल रहते हैं. जिनके हाथों में बुध पर्वत विकसित होता है, वे व्यक्ति अवसरवादी होते हैं और सही समय की तलाश में रहते हैं. समय का पूरा-पूरा उपयोग करने में ये दक्ष माने जाते हैं और ऎसे व्यक्ति सफल वक्ता भी होते हैं.

कई लोग ऎसे व्यक्तियों को पूर्णत: भौतिकवादी मानते हैं, क्योंकि कई बार धन संचित करने के विषय में ये उचित-अनुचित आदि का कोई ख्याल नहीं रखते. दर्शन, विज्ञान, गणित आदि कार्यों में ये विशेष रुचि लेते हैं तथा ऎसे व्यक्ति जीवन में श्रेष्ठ वकील, वक्ता अथवा श्रेष्ठ अभिनेता होते हैं. ऎसे व्यक्ति लेखन के क्षेत्र में भी प्रसिद्धि पाते हैं. ये व्यक्ति यात्राओं के शौकीन होते हैं तथा घूमना-फिरना इनकी हॉबी होती है. ये व्यक्ति जीवन में पूर्ण रुप से सफल होते देखे गए हैं.

यदि बुध पर्वत सूर्य पर्वत की ओर झुका है तो ऎसे व्यक्ति जीवन में सरलता से सफलता प्राप्त कर लेते हैं. जो साहित्यकार और वैज्ञानिक होते हैं, उनके हाथों में ऎसा ही बुध पर्वत देखने को मिलता है.

यदि किसी व्यक्ति के हाथ की हथेली लचीली होती है और बुध पर्वत उभार लिए होता है तब ऎसा व्यक्ति अपने प्रयत्नों से लाखों/करोड़ों रुपया इकठ्ठा कर लेता है. यदि हथेली में बुध पर्वत का अभाव हो तब ऎसे व्यक्ति का जीवन दरिद्रता में गुजरता है. यदि बुध पर्वत सामान्य रुप से विकसित है, तब ऎसे व्यक्ति की रुचि आविष्कार तथा वैज्ञानिक कार्यों में रहती है. यदि कनिष्ठिका अंगुली का सिरा नुकीला है और बुध पर्वत भी विकसित हओ तब ऎसा व्यक्ति वाकपटु होता है. यदि सिरा वर्गाकार है तब व्यक्ति में तर्क-बुद्धि की बाहुल्यता रहती है.

यदि अंगुली का सिरा चपटाकार है, तब व्यक्ति भाषण-कला में विशेष दक्षता लिए होता है. अगर किसी की कनिष्ठिका अंगुली छोटी है, तो व्यक्ति सूक्ष्म बुद्धि रखने वाला होता है. लंबी अंगुलियों के साथ बुध पर्वत भी विकसित है तो व्यक्ति स्त्रियों के प्रति विशेष आसक्ति रखने वाला होता है. यदि यह अंगुली गाँठदार है तब व्यक्ति दृढ़ संकल्पता का धनी होता है. यदि हाथों की अंगुलियाँ लंबी और पीछे की ओर मुड़ी हुई हो तो ऎसा व्यक्ति धोखा देने में विशेष माहिर रहता है. यदि किसी हथेली में बुध पर्वत हथेली से बाहर की ओर झुका हुआ है, तो वह व्यक्ति व्यापार के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करता है.

अगर किसी भी व्यक्ति के हाथ में बुध पर्वत अपने आप में पूर्णत: श्रेष्ठ तथा विकसित हो तो ऎसा व्यक्ति पूर्ण रूप से सफलता प्राप्त कर लेता है.

अधिक विकसित भी न हो बुध पर्वत:

बुध पर्वत का अत्यधिक विकसित होना भी ठीक नहीं है. इससे पर्वत के शुभ गुणों में कमी आती है. ऎसे व्यक्ति धन के पीछे पागल से रहते हैं और “येन केन प्रकारेण” धन-संचय करना ही ये अपने जीवन का उद्देश्य मानते हैं. जिन हथेलियों में बुध पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित होता है, वे चालाक और धूर्त होते हैं और दूसरों को धोखा देने में निपुण होते हैं. यदि बुध पर्वत सामान्य विकसित हो और उस पर चौकोर वर्ग का आकार बना हो तो वह व्यक्ति शातिर अपराधी बनता है.

बुध पर्वत (कनिष्ठिका अंगुली के नीचे) पर मछली का चिन्ह होना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति एक सफल उद्योगपति बनेगा. ऐसा व्यक्ति अपनी कम्युनिकेशन स्किल के दम पर प्रसिद्धि पाएगा.

साभार : chanderprabha.com

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