हर ग्रह का अपना एक मंत्र हैं और मंत्रों का जाप कितनी संख्या में करना चाहिए यह भी हर ग्रह के लिए अलग है अर्थात हर ग्रह की जप संख्या अलग होती है. ग्रह का मंत्र और उनकी जप संख्या को तालिका द्वारा दर्शाया गया है. जब किसी ग्रह की महादशा आरंभ होती है तब उस ग्रह से संबंधित मंत्र की जाप संख्या एक निर्धारित समय में पूरी कर लेनी चाहिए. जब जाप पूरे हो जाएं तब दशांश हवन कराना चाहिए, फिर प्रतिदिन एक माला ग्रह से संबंधित मंत्र की रोज करनी चाहिए.  

ग्रह मंत्र जप संख्या
सूर्य ऊँ सूर्याय नम: अथवा ऊँ घृणि सूर्याय नम: 7,000
चंद्रमा ऊँ चं चंद्राय नम: अथवा ऊँ सों सोमाय नम: 11,000
मंगल ऊँ भुं भौमाय नम: अथवा ऊँ अं अंगारकाय नम: 10,000
बुध ऊँ बुं बुधाय नम: 9,000
गुरु ऊँ बृं बृहस्पतये नम: 19,000
शुक्र ऊँ शुं शुक्राय नम: 16,000
शनि ऊँ शं शनैश्चराय नम: 23,000
राहु ऊँ रां राहवे नम: 18,000
केतु ऊं कें केतवे नम: 17,000

दशा आरंभ होने पर शुक्ल पक्ष में ग्रह संबधी जो भी पहला वार आये, उस वार से मंत्र जाप आरंभ करना चाहिए. राहु/केतु का कोई दिन नहीं होता है तो राहु के मंत्र जाप शनिवार से आरंभ करने चाहिए और केतु के जाप मंगलवार से आरंभ करने चाहिए.  

साभार: chanderprabha.com

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