महाकाल की काली. 'काली' का अर्थ है समय और काल. काल, जो सभी को अपने में निगल जाता है. भयानक अंधकार और श्मशान की देवी. वेद अनुसार 'समय ही आत्मा है, आत्माल ही समय है'. मां कालिका की उत्पत्ति धर्म की रक्षा और पापियों-राक्षसों का विनाश करने के लिए हुई है. काली को माता जगदम्बा की महामाया कहा गया है. मां ने सती और पार्वती के रूप में जन्म लिया था. सती रूप में ही उन्होंने 10 महाविद्याओं के माध्यम से अपने 10 जन्मों की शिव को झांकी दिखा दी थी. 

नाम : माता कालिकाशस्त्र : त्रिशूल और तलवार

वार : शुक्रवार 

दिन : अमावस्या 

ग्रंथ : कालिका पुराण 

मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा 

दुर्गा का एक रूप: माता कालिका 10 महाविद्याओं में से एक मां काली के 4 रूप हैं- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली. 

राक्षस वध: माता ने महिषासुर, चंड, मुंड, धूम्राक्ष, रक्तबीज, शुम्भ, निशुम्भ आदि राक्षसों के वध किए थे. माता कालिका के प्रसिद्ध तीन मंदिर कलियुग में 3 देवता जाग्रत कहे गए हैं- हनुमान, कालिका और भैरव. कालिका की उपासना जीवन में सुख, शांति, शक्ति, विद्या देने वाली बताई गई है. मां कालिका की भक्ति का प्रभाव व्यावहारिक जीवन में मानसिक, शारीरिक और सांसारिक बुराइयों के अंत के रूप में दिखाई देता है जिससे किसी भी इंसान के तनाव, भय और कलह का नाश हो जाता है. हिन्दू धर्म में सबसे जागृत देवी हैं मां कालिका. मां कालिका को खासतौर पर बंगाल और असम में पूजा जाता है. 'काली' शब्द का अर्थ काल और काले रंग से है. 'काल' का अर्थ समय. मां काली को देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं में से एक माना जाता है. 

विशेष: कालिका के दरबार में जो एक बार चला जाता है उसका नाम-पता दर्ज हो जाता है. यहां यदि दान मिलता है तो दंड भी. आशीर्वाद मिलता है तो शाप भी. यदि आप कालिका के दरबार में जो भी वादा करने आएं, उसे पूरा जरूर करें. जो भी मन्नत के बदले को करने का वचन दें, उसे पूरा जरूर करें अन्यथा कालिका माता रुष्ट हो सकती हैं. जो एकनिष्ठ, सत्यवादी और वचन का पक्का है समझो उसका काम भी तुरंत होगा.

पहला रहस्य:- मां दुर्गा ने कई जन्म लिए थे. उनमें से दो जन्मों की कथाएं ज्यादा प्रसिद्ध हैं. पहला, जब उन्होंने राजा दक्ष के यहां सती के रूप में जन्म लिया था और फिर वे यज्ञ की आग में कूदकर भस्म हो गई थीं.

दूसरा, जब उन्होंने पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया, तब वे पार्वती कहलाईं. दक्ष प्रजापति ब्रह्मा के पुत्र थे. उनकी दत्तक पुत्री थीं सती, जिन्होंने तपस्या करके शिव को अपना पति बनाया, लेकिन शिव की जीवनशैली दक्ष को बिलकुल ही नापसंद थी. शिव और सती का अत्यंत सुखी दांपत्य जीवन था, पर शिव को बेइज्जत करने का खयाल दक्ष के दिल से नहीं गया था. इसी मंशा से उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया जिसमें शिव और सती को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को निमंत्रित किया. जब सती को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने उस यज्ञ में जाने की ठान ली. शिव से अनुमति मांगी, तो उन्होंने साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि जब हमें बुलाया ही नहीं है, तो हम क्यों जाएं? सती ने कहा कि मेरे पिता हैं तो मैं तो बिन बुलाए भी जा सकती हूँ. लेकिन शिव ने उन्हें वहां जाने से मना किया तो माता सती को क्रोध आ गया और क्रोधित होकर वे कहने लगीं- 'मैं दक्ष यज्ञ में जाऊंगी और उसमें अपना हिस्सा लूंगी, नहीं तो उसका विध्वंस कर दूंगी. ' वे पिता और पति के इस व्यवहार से इतनी आहत हुईं कि क्रोध से उनकी आंखें लाल हो गईं. वे उग्र-दृष्टि से शिव को देखने लगीं. उनके होंठ फड़फड़ाने लगे. फिर उन्होंने भयानक अट्टहास किया. शिव भयभीत हो गए. वे इधर-उधर भागने लगे. उधर क्रोध से सती का शरीर जलकर काला पड़ गया. उनके इस विकराल रूप को देखकर शिव तो भाग चले लेकिन जिस दिशा में भी वे जाते वहां एक-न-एक भयानक देवी उनका रास्ता रोक देतीं. वे दसों दिशाओं में भागे और 10 देवियों ने उनका रास्ता रोका और अंत में सभी काली में मिल गईं. हारकर शिव सती के सामने आ खड़े हुए. उन्होंने सती से पूछा- 'कौन हैं ये?' सती ने बताया- 'ये मेरे 10 रूप हैं. आपके सामने खड़ी कृष्ण रंग की काली हैं, आपके ऊपर नीले रंग की तारा हैं, पश्चिम में छिन्नमस्ता, बाएं भुवनेश्वरी, पीठ के पीछे बगलामुखी, पूर्व-दक्षिण में द्यूमावती, दक्षिण-पश्चिम में त्रिपुर सुंदरी, पश्चिम-उत्तर में मातंगी तथा उत्तर-पूर्व में षोडशी हैं और मैं खुद भैरवी रूप में अभयदान देने के लिए आपके सामने खड़ी हूँ. ’ माता का यह विकराल रूप देख शिव कुछ भी नहीं कह पाए और वे दक्ष यज्ञ में चली गईं.

दूसरा रहस्य:- दुखों को तुरंत दूर करतीं काली : 10 महाविद्याओं में से साधक महाकाली की साधना को सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली मानते हैं, जो किसी भी कार्य का तुरंत परिणाम देती हैं. साधना को सही तरीके से करने से साधकों को अष्टसिद्धि प्राप्त होती है. काली की पूजा या साधना के लिए किसी गुरु या जानकार व्यक्ति की मदद लेना जरूरी है. महाकाली को खुश करने के लिए उनकी फोटो या प्रतिमा के साथ महाकाली के मंत्रों का जाप भी किया जाता है. इस पूजा में महाकाली यंत्र का प्रयोग भी किया जाता है. इसी के साथ चढ़ावे आदि की मदद से भी मां को खुश करने की कोशिश की जाती है. अगर पूरी श्रद्धा से मां की उपासना की जाए तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं. अगर मां प्रसन्न हो जाती हैं तो मां के आशीर्वाद से आपका जीवन बहुत ही सुखद हो जाता है. 

तीसरा रहस्य:- कालरात्रि और काली : दुर्गा के 9 रूपों में 7वां रूप हैं देवी कालरात्रि का इसलिए नवरात्र के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. कालरात्रि माता गले में विद्युत की माला धारण करती हैं. इनके बाल खुले हुए हैं और गर्दभ की सवारी करती हैं, जबकि काली नरमुंड की माला पहनती हैं और हाथ में खप्पर और तलवार लेकर चलती हैं. काली माता के हाथ में कटा हुआ सिर है जिससे रक्त टपकता रहता है. भयंकर रूप होते हुए भी माता भक्तों के लिए कल्याणकारी हैं. कालरात्रि माता को काली और शुभंकरी भी कहा जाता है. कालरात्रि माता के विषय में कहा जाता है कि यह दुष्टों के बाल पकड़कर खड्ग से उसका सिर काट देती हैं. रक्तबीज से युद्घ करते समय मां काली ने भी इसी प्रकार से रक्तबीज का वध किया था.

चौथा रहस्य:- जीवनरक्षक मां काली : माता काली की पूजा या भक्ति करने वालों को माता सभी तरह से निर्भीक और सुखी बना देती हैं. वे अपने भक्तों को सभी तरह की परेशानियों से बचाती हैं.  लंबे समय से चली आ रही बीमारी दूर हो जाती हैं. ऐसी बीमारियां जिनका इलाज संभव नहीं है, वह भी काली की पूजा से समाप्त हो जाती हैं. * काली के पूजक पर काले जादू, टोने-टोटकों का प्रभाव नहीं पड़ता.  हर तरह की बुरी आत्माओं से माता काली रक्षा करती हैं.  कर्ज से छुटकारा दिलाती हैं. बिजनेस आदि में आ रही परेशानियों को दूर करती हैं.  जीवनसाथी या किसी खास मित्र से संबंधों में आ रहे तनाव को दूर करती हैं. बेरोजगारी, करियर या शिक्षा में असफलता को दूर करती हैं. कारोबार में लाभ और नौकरी में प्रमोशन दिलाती हैं. हर रोज कोई न कोई नई मुसीबत खड़ी होती हो तो काली इस तरह की घटनाएं भी रोक देती हैं. शनि-राहु की महादशा या अंतरदशा, शनि की साढ़े साती, शनि का ढइया आदि सभी से काली रक्षा करती हैं. *पितृदोष और कालसर्प दोष जैसे दोषों को दूर करती हैं.

पांचवां रहस्य:- कालिका का यह अचूक मंत्र है. "क्लीं" इससे माता जल्द से सुन लेती हैं, लेकिन आपको इसके लिए सावधान रहने की जरूरत है. इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से लाभ मिलता है.

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