कोटा/जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे सहित पूरे देश के हजारों रेलकर्मियों को नाइट अलाउंस के दायरे से बाहर करने एवं बीते सवा तीन साल के दौरान नाइट अलाउंस की रिकवरी के आदेश ने रेल कर्मियों की नाराजगी बढ़ा दी है. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा, जबलपुर व भोपाल मंडल में भी रेलवे के इस निर्णय का विरोध शुरू हो गया है.  वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलसीआरईयू) के महामंत्री मुकेश गालव ने इस निर्णय को लागू नहीं करने के लिए पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को आज शुक्रवार 6 जून को पत्र लिखा है.

इसलिए है रेलकर्मियों की नाराजगी

दरअसल रेलवे बोर्ड के एक आदेश के तहत नाइट अलाउंस पाने वाले हजारों रेलकर्मी बाहर कर दिए गए हैं. बोर्ड ने एक जुलाई 2017 से मूल वेतन 43600 रुपये से ऊपर वाले रेलकर्मियों का नाइट ड्यूटी अलाउंस बंद किया है. इसके अलावा ऐसे रेलकर्मी जिनका वेतन 43600 रुपये से अधिक है और जो एक जुलाई 17 के बाद भी नाइट अलाउंस पा चुके हैं उनसे रिकवरी करने का भी फरमान जारी किया है.

यूनियन ने कहा कि जरूरी नहीं रेलवे डीओपीटी के हर निर्णय को लागू करे

डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव ने पमरे के महाप्रबंधक को रात्रि ड्यूटी भत्ते की कटौती के संबंध में लिखे पत्र में कहा गया है कि यूनियन इस इस निर्णय से सहमत नहीं है. यूनियन का मानना है कि उक्त कटौती का आदेश डीओपीटी द्वारा जारी किया गया है, यह जरूरी नहीं कि डीओपीटी के हर पत्र को रेलवे विभाग में लागू किया जाए.

रेलवे की कार्य प्रकृति अन्य विभागों से बिलकुल अलग

श्री गालव ने कहा कि रेलवे विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की कार्य की प्रकृति अन्य विभागों से बिलकुल अलग है एवं ग्रेड पे का वर्गीकरण भी भिन्न होता है. इसके अतिरिक्त कोटा मंडल एवं भोपाल मंडल के वित्त प्रबंधक ने रेलवे स्टाफ की दिनांक 1 जुलाई 2017 से रात्रि ड्यूटी भत्ते की रिकवरी का आदेश दिया है, यह बिलकुल गलत है. पश्चिम मध्य रेलवे के तीनों रेल मंडलों कोटा, जबलपुर एवं भोपाल में किसी भी स्थिति में 1 जुलाई 2017 से रात्रि भत्ते की रिकवरी नहीं की जाए और एआईआरएफ रेलवे बोर्ड एवं डीओपीटी के प्रमुख उच्च अधिकारियों से वार्ता लगातार चल रही है. रेलवे बोर्ड से भी उपरोक्त रात्रि भत्ते की सीलिंग लिमिट 43600 रुपए है.

उसको रेलवे की कार्य प्रकृति को देखते हुए डीओपीटी को इससे मुक्त करने हेतु अनुशंसा करना स्वीकार किया है. इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय एवं रेलवे बोर्ड के निर्देशों के अनुसार रेल कर्मचारी द्वारा लिये गये भुगतना की कटौती नहीं करनी चाहिए. यूनियन ने पमरे के महाप्रबंधक से मांग की है कि शीघ्र से शीघ्र कोटा, जबलपुर एवं भोपाल (तीनों मंडलों) को निर्देशित कर रात्रि भत्ते की रिकवरी नहीं करने के निर्देश दें.