पलपल संवाददाता, भोपाल. मध्यप्रदेश में हुए उपचुनाव में शिवराज सरकार के तीन मंत्री हार गए है, जिसमें एक मंत्री एंदलसिंह कसाना ने तो इस्तीफा दे दिया, दूसरे गिर्राज दंडोतिया ने आज इस्तीफा देने की बात कही है, लेकिन चर्चाओं में रहने वाली इमरती देवी इस्तीफा देने तैयार नहीं है, उन्होने अभी तक यह साफ ही नहीं किया है कि वे कब स्तीफा देगी. इमरती देवी का मंत्री पद से इस्तीफा न दिया जाना चर्चा का विषय बनता जा रहा है. 

बताया जाता है कि इमरती देवी के इस्तीफे को लेकर तरह तरह की चर्चाएं शुरु हो गई है, यहां तक कि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा द्वारा की गई टिप्पणी कि चुनाव हारने के बाद कोई मंत्री नहीं रहता है, उन्होने यह भी कहा कि कैबिनेट की मीटिंग होने तक हारे हुए मंत्री  हट जाएगें, श्री झा की इस टिप्पणी को भी इमरती देवी से जोड़कर देखा जा रहा है. वहीं इमरती देवी पहले ही यह कह चुकी है कि वे हारी नहीं है सरकार हमारी है जो जीत गए है वे एक हैंडपम्प भी नहीं लगवा पाएगें. वहीं इस बात की अटकलें भी लगाई जा रही है कि भाजपा संगठन में इमरती देवी को कोई जबावदारी मिलना भी कठिन है, क्योंकि संगठनात्मक रुप से भाजपा की व्यवस्था कांग्रेस से अलग है यहां पर कुछ भी बयानबाजी करने को अनुशासनहीनता की श्रेणी में लिया जाता है.

जहां तक संविधान की बात की जाए तो कोई भी गैर विधायक व्यक्ति 6 माह तक पद पर रह सकता है यदि वह चुनाव हार जाता है तो उसका पद वैसे ही समाप्त हो जाता है, 2 जुलाई को इमरती देवी ने मंत्री पद की शपथ ली थी, इस हिसाब से यदि इस्तीफा नहीं देती हैं तो भी 2 जनवरी तक पद पर बनी रह सकती हैं. ऐसे में इस्तीफा देने पर उन्हें निगम, मंडल में एडजस्ट किया जा सकता है.