वास्तुशास्त्र में घर-मकान को लेकर कई बातें बताई गई हैं. जिन्हें अपनाने से व्यक्ति का जीवन सुखमय व शांतिमय हो जाता है. इसके अनुसार भूखंड या भवन लेने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए. तो यदि आप भी मकान निर्माण के लिए शुभ जमीन यानी प्लॉट देख रहे हैं, तो आपको भारतीय वास्तुशास्त्र की ये बातें जरुर ध्यान में रखनी चाहिए.

मकान निर्माण के लिए वास्तु अनुसार शुभ भूमि का चयन करते समय इन बातों का मुख्तया ध्यान रखना चाहिए.----

1.जिस भूमि की दोनों भुजाएं और चारों कोण समान हो उसे आयताकार भूखंड कहते हैं. यह हर प्रकार से धनदायक एवं पुष्टि दायक होता है.

2.जिस भूखंड की चारों भुजाएं और चारों कोण समान हो उसे वर्गाकार भूखंड कहते हैं. यह भूखंड भी धनदायक और दरिद्रता को मिटाने वाला होता है.

3.भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार, प्लॉट के चारों कोने 90 डिग्री यानी समकोण पर हों, तो वे प्लॉट शुभ माने जाते हैं.

4.आयताकार या वर्गाकार प्लॉट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी घर-परिवार के लिए शुभ माना जाता है,

5. यदि दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ हो तो यह अच्छा नहीं माना जाता.

6.भूंखड का चयन करने से पहले ये भी बात ध्यान रखें कि वह दो प्लॉट के बीच स्थित एक छोटा प्लॉट नहीं होना चाहिए. एेसा होने पर यह आर्थिक समृद्धि पर बुरा प्रभाव डालता है.

7.प्लॉट के पूर्व, उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा में कोई बड़ा या भारी निर्माण न हो, यह ध्यान में अवश्य रखें.

8.ऐसी भूमि जो देखने में ढोलक या मृदंग के आकार की हो उसे त्याग देना चाहिए. इस प्रकार की गृहस्वामी को ढोलक के समान खाली रखती है.

9.यदि उसके उतर-पूर्व में कोई पानी का स्थान, जैसे टंकी, तालाब आदि है, तो यह शुभ है, लेकिन दक्षिण-पश्चिम दिशा में ये अच्छे नहीं माने गए हैं.

10.समतल प्लॉट सबसे अच्छा माना गया है. यदि प्लॉट ढलवां हो, तो यह ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की और होना चाहिए. दक्षिण या पश्चिम दिशा वाली ढलान पर मकान नहीं बनवाना चाहिए.

11.पूर्वमुखी प्लॉट शिक्षा, धर्म और अध्यात्म के कार्य, पश्चिम मुखी प्लॉट सर्विस करने वाले लोगों, जैसे, इंजीनियर, वकील, डाक्टर के लिए, उत्तर मुखी प्लॉट सरकारी सेवा, पुलिस, सेना में कम करने वालों के लिए और दक्षिण मुखी प्लॉट व्यापारियों और व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए उत्तम रहता है.