पलपल संवाददाता, जबलपुर/भोपाल. मध्यप्रदेश में युवतियों के घर से लापता होने की बढ़ती संख्या अब चिंता का विषय बनती जा रही है, यहां पर लॉक डाउन में 8 माह के दौरान सात हजार युवतियां लापता हुई है, जिसमें 4 हजार तो मिल गई लेकिन 3 हजार का अभी तक पता नहीं चल सका है. इस मामले को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान गंभीरता से लिया है. उन्होने उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर अभियान चलाकर युवतियों को तलाश करने के लिए कहा है.  

सीएम श्री चौहान ने बैठक में डीजीपी विवेक जौहरी से चर्चा करते हुए कहा कि अप्रेल से दिसम्बर 2020 के बीच सात हजार युवतियों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई है, लापता युवतियों व बच्चियों की तलाश अभियान चलाकर की जाए, घर के बाहर, अन्य जिलों में रहकर काम करने वाली युवतियों का रिकार्ड रखा जाए, ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसके तहत अब जिले से बाहर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो.

उन्होने यह भी कहा कि लापता होने वाले बच्चो में बेटियों की संख्या दो गुनी होने से यह बात स्पष्ट है कि उनका लापता होना सामान्य नहीं कहा जा सकता है. बेटियों के गायब होने के मामले में गंभीर कार्यवाही करने की आवश्यकता है, क्योंकि इनमे बालिकाओं की संख्या भी कम नहीं है, यह चिंता का विषय है.

बैठक में डीजीपी श्री जौहरी ने बैठक में बालिकाओं और युवतियों के लापता होने के पीछे कई कारण बताए है, जिएमें शहरी क्षेत्र के थानों में दर्ज मामलों में अधिकांश में बिना बताए घर से जाना, नाराज होना, भागना या बिना बताए प्रेमी के साथ भागने के तथ्य सामने आए है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र से मजदूरी के नाम पर पलायन होता है, इसमें श्रम विभाग की कार्यवाही आवश्यक होगी, जिसपर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह देखना होगा कि ठेकेदार उन्हे कहां और किस कार्य के लिए ले जाते है, इसका रिकार्ड रखा जाए, बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस, अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा उपस्थित रहे.