अहमदाबाद. गुजरात से एक हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. बीते पांच वर्षों में ड्राई गुजरात के अंदर महिलाओं के शराब पीने की संख्या दोगुनी हुई है. वहीं पुरुषों के शराब पीने के मामले घटकर आधे रह गए हैं. यह हाल ही में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस), 2019-20 की रिपोर्ट में सामने आया है.

गुजरात में कुल 33,343 महिलाओं और 5,351 पुरुषों का सर्वेक्षण किया गया था. इनमें से 200 महिलाओं (0.6%) और 310 पुरुषों (5.8%) ने दावा किया कि वह शराब पीते हैं. वहीं 2015 के एनएफएचएस सर्वेक्षण के दौरान 68 महिलाओं (0.3%) और 668 पुरुषों (11.1%) ने शराब पीने की बात स्वीकार की थी. 2015 में 6,018 पुरुषों और 22,932 महिलाओं का सर्वेक्षण किया गया था.

2015 में सिर्फ 1 फीसदी का आंकड़ा

दोनों आंकड़ों की तुलना करने से पता चलता है कि 2015 में सिर्फ 0.1 फीसदी शहरी महिलाओं ने कहा कि वह शराब पीती हैं. वहीं 2020 के सर्वेक्षण में पाया गया कि 0.3 फीसदी महिलाओं ने शराब का सेवन किया.

पुरुष पियक्कड़ घटे

2015 में शराब पीने वाले पुरुषों के मामले 10.6 फीसदी थे जबकि 2020 में यह घटकर 4.6 फीसदी हो गया. ग्रामीण क्षेत्रों में, शराब का सेवन करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 2015 में 0.4 फीसदी से बढ़कर 2020 में 0.8 फीसदी हो गया. शराब पीने वाले पुरुषों की संख्या 2015 में 11.4 फीसदी से घटकर 2020 में 6.8 फीसदी हो गई है.

शराब पीना बना ट्रेंड

समाजशास्त्री गौरांग जानी कहते हैं कि शराब पीना राज्य के कई समुदायों के बीच गहरी जड़ें जमा चुका है. इन समुदायों में यह एक प्रथा है, जहां पुरुष और महिलाएं दोनों एक साथ बैठते हैं और विशेष अवसरों पर शराब पीते हैं. हमारी आदिवासी आबादी एक उदाहरण है, और कुछ समुदायों में भी.

आईपीएस अधिकारी बोले संख्या है कम

एक वरिष्ठ IPS अधिकारी ने इस तथ्य की पुष्टि की लेकिन कहा कि संख्या अभी भी कम करके आंका गया है. कई लोग इस बात को छिपाते हैं कि वह शराब पीते हैं, क्योंकि यह राज्य में अपराध है.