प्रदीप द्विवेदी (15 जनवरी 2021). अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे और इससे पहले ही उन्होंने अपना सबसे बड़ा चुनावी वादा निभाने की घोषणा की है.

खबरों पर भरोसा करें तो उन्होंने कोरोना संकट से प्रभावित अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 1.9 ट्रिलियन डॉलर (करीब 138 लाख करोड़ रुपये) के राहत पैकेज का एलान किया है, मतलब- इस पैकेज के अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद हर अमेरिकी के खाते में 1,400 डॉलर अर्थात करीब एक लाख रुपये जमा होंगे.

उल्लेखनीय है कि भारत में भी कोरोना संकट के दौरान 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की गई थी, लेकिन देश में गुप्तदान की परंपरा है, लिहाजा यह जानना मुश्किल है कि इस राहत पैकेज में से कितना रुपया किसकी जेब में गया!

किसान आंदोलनः बातचीत बेनतीजा, 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली का क्या होगा?

केंद्र सरकार की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ट्रैक्टर रैली पर रोक के मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा. खबर है कि केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि खुफिया एजेंसी की जानकारी के अनुसार 26 जनवरी 2021 के मौके पर कुछ संगठन ट्रैक्टर रैली की योजना बना रहे हैं, ऐसी में उन्हें राजधानी दिल्ली के इलाके में घुसने से रोकने के लिए आदेश पारित किया जाए.

उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और दिल्ली के कई बॉर्डर पर किसान संगठन जमे हुए हैं. इसी बीच कुछ संगठनों का ऐलान है कि वे 26 जनवरी 2021 के अवसर पर ट्रैक्टर रैली करेंगे.

इधर, जैसी कि आशंका थी आंदोलनरत किसानों और केन्द्र सरकार के बीच बातचीत का 9वां दौर भी बेनतीजा रहा. अगली बातचीत 19 जनवरी 2021 को होगी.

याद रहे, किसान पहले ही साफ कर चुके हैं कि वे कृषि कानूनों की वापसी से कम पर कोई बात स्वीकार नहीं करेंगे, वहीं केन्द्र सरकार भी कृषि कानून रद्द करना नहीं चाहती है, लिहाजा अब ऐसी बातचीत महज रस्मभर हैं.

राहुल गांधीमोदी सरकार को एक्सपोज करने में कामयाब हो गए हैं!

तीनों नए कृषि कानून का सबसे पहले विरोध राहुल गांधी ने किया था और उसके बाद से वे लगातार इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं. शुक्रवार, 15 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली कांग्रेस ने राजभवन घेराव मार्च कार्यक्रम का आयोजन किया था.

खबर है कि जब दिल्ली कांग्रेस के नेता राजभवन की ओर जा रहे थे, तब दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. पुलिस ने इसके लिए कंटीले तारों से बैरिकेडिंग भी की थी. मार्च के दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की में कांग्रेस नेता अल्का लांबा का हाथ कंटीली तारों से कट गया.

दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी का कहना है कि- हमें दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड लगा कर रोक दिया. इस दौरान हमारे कार्यकर्ताओं को पीटा गया. कई कार्यकर्ताओं को चोंटे आई हैं. चौधरी ने कहा कि कांग्रेस किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करती रहेगी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने संसद से लेकर सड़कों तक किसानों का मुद्दा उठाया है, जिसे हम आगे जारी रखेंगे.

इधर, दिल्ली कांग्रेस के इस मार्च में शामिल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि- वर्षों से किसानों की लड़ाई चल रही है. पहले नरेंद्र मोदी ने किसानों की जमीन छीनने की कोशिश की, उस समय कांग्रेस ने उनको रोका. एक बार फिर भाजपा और उनके दो-तीन मित्र किसानों का अधिकार छीनने की कोशिश कर रहे हैं.

जिस तरह से पूरे देश में कृषि कानूनों के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में जनता की आवाज बुलंद हो रही है, उसके मद्देनजर यह साफ है कि राहुल गांधी मोदी सरकार को एक्सपोज करने में कामयाब हो गए हैं!

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए दिया पांच लाख रुपए का पहला चंदा!

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न्यास को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से मंदिर निर्माण के लिए पहला योगदान मिला है.

विश्व हिंदू परिषद के आलोक कुमार के हवाले से खबर है कि वे लोग इस अभियान की शुरूआत के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास गए थे. उन्होंने इसके लिए 5,01,000 रुपए का योगदान दिया और इस मिशन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं.

याद रहे, विश्व हिंदू परिषद श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन में नेतृत्व कर रहा था. अलोक कुमार का प्रेस को कहना था कि- पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, चेक के माध्यम से 20,000 से ऊपर के फंड एकत्र किए जाएंगे. धनसंग्रह अभियान 52,50,00 गांवों में चलाया जाएगा. एकत्रित धनराशि को बैंकों में 48 घंटे के भीतर जमा करना होगा. संग्रह अभियान 15 जनवरी 2021 से शुरू हुआ और 27 फरवरी 2021 तक चलेगा.

जनता के योगदान से मंदिर निर्माण अच्छा निर्णय है, लेकिन इस दौरान सतर्कता बेहद जरूरी है, क्योंकि ऐसे मौकों पर छोटी-सी गलती-गड़बड़ी बड़ा सवाल बन जाती है?

अन्ना हजारे किसानों के समर्थन में भूख हड़ताल करेंगे!

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने पीएम मोदी को किसानों के मुद्दे पर पत्र लिखकर दिल्ली में भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी है.

खबर है कि अन्ना हजारे ने अपने पत्र लिखा है कि उन्होंने अबतक पांच बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है लेकिन एक बार भी जवाब नहीं दिया.

उनका कहना है कि सरकार ने ना तो उनके पत्रों का जवाब दिया और ना ही किसानों से संबंधित उनकी मांग को पूरा किया है, लिहाजा इस बार उन्होंने जनवरी के आखिर में दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल करने का फैसला किया है.

सियासी सयानों का मानना है कि पीएम मोदी अपनी ही पार्टी के नेताओं के सवालों का जवाब नहीं देते है, तो वे अन्ना हजारे को कहा जवाब देंगे?

शरद पवार ने कहा- पुलिस जांच के बाद ही बलात्कार के आरोपी मंत्री पर एक्शन!

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार का कहना है कि बलात्कार के आरोप का सामना कर रहे राकांपा नेता और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे के विरूद्ध राकांपा कोई भी कार्रवाई पुलिस जांच का निष्कर्ष सामने आने के बाद ही करेगी.

खबरें हैं कि महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री पर मुंबई की एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया है, जबकि मुंडे ने आरोप को नकारते हुए इसे उन्हें ब्लैकमेल करने का प्रयास करार दिया है.

शरद पवार ने प्रेस से कहा कि- राकांपा चाहती है कि मुंडे के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए गठित पुलिस टीम में एसीपी रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल हों.

खबरों पर भरोसा करें तो फिलहाल मुंडे अपने पद पर बने रहेंगे और मामले की पुलिस जांच पूरी होने के बाद ही उसके आधार पर आगे का फैसला लिया जाएगा.

अच्छा है, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने तर्कसंगत निर्णय लिया है, ऐसे मामले का मौन समर्थन तो नहीं किया है!

बीजेपी को मात देनी है, तो कांग्रेस में आ जाएं ममता बनर्जी!

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी संग्राम जोरों पर है. जहां बीजेपी आक्रामक तेवर के साथ सत्ता के सपने देख रही हे, वहीं ममता बनर्जी, जैसे भी हो अपनी सीएम की कुर्सी बचाना चाहती है.

बीजेपी पश्चिम बंगाल में भी विपक्षी वोटों के बिखराव के आधार पर कामयाबी देख रही है, तो ममता बनर्जी विपक्षी वोटों के बिखराव को रोकने पर फोकस हो रही हैं.

खबर है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम ममता बनर्जी के करीबी नेता सौगत रॉय के कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों को तृणमूल कांग्रेस के साथ आने की सलाह दी है, लेकिन इसके बाद कांग्रेस की ओर से पटलवार करते हुए पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सुझाव दिया कि है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए और आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ लड़ना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के करीबी नेता सौगत रॉय ने कहा था कि अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में बीजेपी के खिलाफ हैं, तो उन्हें भगवा पार्टी की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ ममता बनर्जी की लड़ाई में साथ देना चाहिए.

सियासी सयानों का मानना है कि जब तक विपक्ष बिखरा रहेगा, बीजेपी फायदे में रहेगी, लेकिन विपक्ष के नेताओं की सियासी महत्वकांक्षाएं इतनी ज्यादा हैं कि सब को एक मंच पर लाना आसान नहीं है!

अभिमनोजः पश्चिम बंगाल को लेकर बयानबाजी में कितनी सच्चाई? कितनी सियासत?

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