इंदौर. मध्य प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के नाम पर व्यापमं के माध्यम से हुए बड़े घोटाले से पहले ही राज्य में तहलका मच चुका है. इसके बाद अब मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के नाम पर एक और बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलाने के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी की गई है. मामले में पकड़े गए आरोपियों ने इंदौर पुलिस के सामने कई अहम खुलासे किए हैं. इंदौर पुलिस के मुताबिक आरोपी सचिन उत्तराकर और शंकर मानवटकर दोनों निवासी विश्वाहंस सेक्टर 35 खारधर नवी मुंबई महाराष्ट्र से एसटीएफ एसपी सहित तीन टीआई ने पांच से छह घंटे पूछताछ की.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी बड़े कोचिंग संस्थानों से डेटा चुराकर विद्यार्थियों से संपर्क करते थे. आरोपी विद्यार्थियों से नीट में पूछ जाने वाले प्रश्न उपलब्ध कराकर सरकारी कॉलेज में एडमिशन का झांसा देते. बताया जा रहा है कि बीते 10 सालों में ये सात राज्यों के 100 से ज्यादा लोगों के साथ इसी तरह ठगी कर चुके हैं. इनके पास से मेडिकल कॉलेजों की सील लगे कई सरकारी दस्तावेज भी मिले हैं. इससे आशंका जताई जा रही है कि कॉलेज के कुछ लोग भी इस वारदात में आरोपियों का साथ देते थे.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंदौर के एसपी मनीष खत्री ने बताया कि आरोपी स्टूडेंट्स के डेटा चुराने के बाद उन्हें फोन करते थे. परिजन को झांसे में लेने के लिए उन्हें डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सविज़्स के कोटे में एडमिशन दिलाने का दावा करते. फर्जी पेपर व डाक्यूमेंट दिखाते जिससे लोग भरोसा कर लेते. धोखाधड़ी के लिए फ्लाइट से यात्राएं कर सीधे स्टूडेंट या उनके परिजन तक पहुंचते और सौदेबाजी करते. इंदौर में अजय जैन व झाबुआ के अनिल श्रीवास्तव तक ये ऐसे ही पहुंचे.

बताया जा रहा है कि आरोपियों ने पहले गुडग़ांव में ऑफिस डाला. यहां कई लोगों से धोखाधड़ी की. जब लोग पीछे पड़े तो कुछ के रुपए वापस भी किए. इसके बाद 2015 में मुंबई में मीरा रोड पर एशिया पेसिफिक एजुकेशन काउंसलिंग ऑफ हायर एजुकेशन के नाम फर्म बनाई. 2016 में यहां कई बच्चों से विदेश में पढ़ाई के नाम पर धोखाधड़ी की.