इंदौर. दूसरे के नाम पर प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में बैठने वाले आरोपित को स्पेशल कोर्ट ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई. जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपित पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था. बाद में मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई. सीबीआइ ने आरोपित को तलाशा जिसके बाद विचारण शुरू हुआ. कोर्ट ने आरोपित पर अर्थदंड भी लगाया है.

मामला 2004 में हुई पीएमटी का है. खंडवा जिला उडऩदस्ता दल ने वहीं के एक परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थी संत कुमार त्रिवेदिया के स्थान पर परीक्षा में बैठे आरोपित मनीष कुमार को रंगे हाथ पकड़ा था. दल अधिकारी सपना शिवाले ने परीक्षार्थी संत कुमार और परीक्षा में बैठे मनीष कुमार के फोटो का मिलान किया जिसके बाद गड़बड़ी पकड़ में आई. तुरंत मनीष कुमार को गिरफ्तार कर पुलिस थाने भिजवा दिया गया.

पुलिस को पूछताछ में आरोपित ने बताया कि तरूण कुमार नामक व्यक्ति ने उसे संत कुमार के नाम से परीक्षा देने के लिए कहा था. इसके एवज में उसे निश्चित रकम मिलना थी. आरोपित मनीष कुमार मूल रूप से पटना का निवासी है, लेकिन उसने पुलिस को अपना पता गलत बताया था. बाद में उसने गलत पते के आधार पर कोर्ट से जमानत ले ली और फरार हो गया. बाद में पीएमटी घोटालों की जांच सीबीआई को सौंप दी गई.

सीबीआई ने पटना से आरोपित मनीष कुमार को गिरफ्तार कर इंदौर की सीबीआई स्पेशल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया. सीबीआई की तरफ से विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने पैरवी की. उन्होंने बताया कि शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश यतींद्र कुमार गुरु ने उक्त मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपित मनीष कुमार को भादवि की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी में पांच साल कारावास की सजा सुनाई है.

आरोपित पर एक हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है. एडवोकेट शर्मा ने बताया कि प्रकरण के दो अन्य आरोपितों को पूर्व में ही सजा सुनाई जा चुकी है.