नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि कंपनी की नई गोपनीयता नीति पर चिंताओं के बीच व्हाट्सएप को डाउनलोड करना अनिवार्य नहीं है. इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर व्हाट्सएप की नई पॉलिसी से किसी की निजता का हनन हो रहा है, तो सबसे आसान तरीका ये है कि व्हाट्सएप को डिलीट किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसके विकल्प के के तौर पर ऐसे किसी दूसरे ऐप को इस्तेमाल किया जा सकता है.
पिछली सुनवाई में वाट्सएप की नई निजता नीति के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा था कि अगर किसी को नीति स्वीकार नहीं है तो वह दूसरा ऐप इस्तेमाल कर सकता है. पीठ ने कहा कई ऐसे ऐप है जो अपने ग्राहकों की जानकारी रखते हैं. सभी निजी ऐप हैं और ग्राहक चाहे तो उस का सदस्य बन सकता है या उसे छोड़ सकता है. यह ग्राहक की इच्छा पर निर्भर करता है.
इस दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता चैतन्य रोहिल्ला से पूछा था कि आखिर आप चाहते क्या हैं. इसके जवाब में अधिवक्ता ने कहा कि वाट्सएप हमारे बारे में जानकारी इक_ा करता करता है और इसे वैश्विक स्तर पर साझा करता है. पीठ ने याची से पूछा कि क्या आपने दूसरे एप की शर्तों के बारे में पढ़ा है. आप पहले उसको पढ़ें और बताएं कि आप की मुश्किलें क्या है. उन्होंने कहा कि आप दूसरे ऐप के शर्तों को पढेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह क्या-क्या शर्तें मनवाते हैं. पहले आप उन सब बारे में पूरी तरह से वाकिफ हो लें. पीठ ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से भी जानकारी लेनी होगी.
वहीं मंत्रालय की तरफ से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि इस पर मंत्रालय विश्लेषण कर रहा है. फेसबुक की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है इसे निरस्त कर दिया जाए. वहीं वाट्सएप की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह ऐप पूरी तरह सुरक्षित है. ऐसी कोई जानकारी साझा नहीं की जाती है जिससे ग्राहकों की निजता का हनन हो.