आगरा: बेगुनाह पति-पत्नी ने जेल में बिताए 5 साल, बच्चे भी लापता, अब हुए रिहा, बोले- असली हत्यारों को मिले सजा
प्रेषित समय :15:30:51 PM / Mon, Jan 25th, 2021
आगरा. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में पुलिस की ऐसी कारगुजारी का खुलासा हुआ है, जिसने एक बेनुगाह पति-पत्नी को न सिर्फ जेल की अंधेरी कोठी में धकेल दिया, बल्कि बच्चों से भी दूर कर दिया है. दोनों बच्चे अब कहां हैं? किसी को पता नहीं है. कोर्ट ने इस प्रकरण में तत्कालीन इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, लेकिन, इंस्पेक्टर भी अब रिटायर हो चुका है. जेल से छूटने के बाद पति-पत्नी अब अपने बच्चों को ढूंढ रहे हैं. वे बार-बार यही कह रहे हैं कि कोर्ट ने हमारी बेगुनाही पर मुहर लगा दी है? जिस बात की दुहाई वे पहले दिन से दे रहे थे.\r\n\r\nहत्या के जुर्म पुलिस ने भेजा था जेल\r\n\r\nएक सितंबर, 2015 को बाह क्षेत्र के जरार निवासी योगेंद्र सिंह का पांच साल का बेटा रंजीत सिंह उर्फ चुन्ना शाम तकरीबन साढ़े पांच बजे घर से अपनी मां श्वेता से अंबरीश गुप्ता की दुकान पर जाने की कहकर गया था. लेकिन, जब रात तक लौटकर नहीं आया तो योगेंद्र सिंह ने बेटे की तलाश की. अंबरीश की दुकान बंद मिली. कई लोगों ने बच्चे को ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिला.\r\n2 सितंबर, 2015 को सुबह 11 बजे कोतवाल धर्मशाला के पास ब्रह्मचारी गुप्ता के बंद पड़े मकान में रंजीत का शव पड़ा मिला था. योगेंद्र सिंह ने आरोप लगाया था कि बेटे की हत्या मोहल्ला मस्जिद निवासी नरेंद्र सिंह और उसकी पत्नी नजमा ने की है. उनसे काफी दिन पहले झगड़ा हुआ था. तब दोनों ने धमकी दी थी. घटना से एक दिन पहले नजमा की गोदी में बेटे को बैठा हुआ देखा था. वह नमकीन खा रहा था. दोनों ने रंजिश में चाकुओं से गोदकर उसको मार डाला. इसी केस में पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया था.\r\n\r\nदंपती ने कहा- असली हत्यारे को मिलनी चाहिए सजा\r\n\r\nजेल से रिहा हुए नरेंद्र और नजमा का कहना है कि उनसे कभी योगेंद्र का विवाद नहीं हुआ था. उन्होंने हम लोगों को गलत फंसा दिया. लेकिन, न्याय पालिका पर उनको भरोसा था. उन्हें न्याय पालिका ने निर्दोष साबित कर दिया. जब 5 साल पहले नजमा और उसके पति नरेंद्र को जेल भेजा था, उस वक्त नजमा की एक तीन साल की बेटी और 5 साल का बेटा था, जो अब 5 साल बाद कहां है उन्हें नहीं पता? दोनों का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच पड़ताल हो और पुलिस पर तो कार्रवाई होनी ही चाहिए, लेकिन असली हत्यारे भी सामने आने चाहिए तभी वे दोनों अपने गांव वापस जा सकेंगे.\r\n\r\nनरेंद्र पेशे से शिक्षक थे\r\n\r\nनरेंद्र गांव में ही सब्जी की दुकान चलाते थे. उसी धर्मशाला में एक स्कूल था. उसी स्कूल में 5वीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाते थे. लेकिन, अब सारे काम बंद हो गए हैं. उनके सामने जेल से रिहा होने के बाद रोजी रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है. नरेंद्र और नजमा अब अपनी पथराई आंखों से अपने जिगर के टुकड़े बच्चो को तलाश रही हैं.\r\n\r\nमुआवजा दिलाने के लिए नोटिस जारी\r\n\r\nअधिवक्ता वंशो बाबू ने बताया कि अपर जिला जज ने एसएसपी को पत्र लिखकर विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं. निर्दोषों को पांच साल तक जेल में रखने पर उन्हें बतौर प्रतिकर मुआवजा दिलाने का नोटिस भी जारी किया है. विवेचक अलीगढ़ की क्राइम ब्रांच प्रभारी ब्रह्म सिंह थे. बताया जा रहा है कि अब वे रिटायर हो चुके हैं.