पलपल संवाददाता, जबलपुर. महाराष्ट्र के सोलापुर में बंधक बनकर मजदूरी कर रहे 12 मजदूरों को जबलपुर पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से मुक्त कराकर उनके घर खितौला सिहोरा पहुंचाया गया है, अपने घर पहुंचे मजदूर परिजनों से मिलने के बाद फूट-फूटकर रोए, जिन्होने बताया कि उन्हे न तो भरपेट भोजन दिया गया, न ही मजदूरी दी, 24 घंटे काम ही कराया जाता रहा. पुलिस ने अब उस वक्त व्यक्ति की तलाश शुरु कर दी है, जिसने श्रमिकों को पांच लाख रुपए में सोलापुर में बेचा है.
पुलिस के अनुसार जबलपुर के खितौला (सिहोरा) में रहने वाली महिला रागिनी, गंगा, वंदना, लक्ष्मी, शिवानी, संजय कोल, संजय चौधरी, अनिल राजपूत, घनश्याम कोल, सुनीताबाई, बेटे राशि, अंजली, कुमकुम, सुनीता सहित अन्य श्रमिको को काम दिलाने के लिए खंडवा ले जाया गया, जहां पर असीम खान नाम एक व्यक्ति मिला, जिसने श्रमिकों को कहा कि दो साल तक काम करने पर सभी को पांच-पांच लाख रुपए मिलेगें, रहना व खाना अलग रहेगा. असीम खान के झांसे में आए सभी श्रमिक तैयार हो गए, जिन्हे दलाल असीम अपने साथ सोलापुर महाराष्ट्र ले गया, सोलापुर में एक ठेकेदार के यहां पांच लाख रुपए में बेच दिया गया. सोलापुर में सभी मजदूरों से 24 घंटे काम कराया जाता रहा, मजदूरी मांगने पर ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा मारपीट की जाती रही, दो माह से ज्यादा समय होने के बाद भी न मजदूरी मिली न ही भरपेट भोजन दिया गया.
इस बीच मजदूर किसी तरह खेत से निकलने के बारे में सोचने लगे, इस बीच एक महिला मजदूर ने अपने परिजनों को बंधक बनाए जाने की जानकारी दी, इसके बाद परिजनों ने सिहोरा पुलिस व एसपी से संपर्क कर घटना की जानकारी दी. पुलिस की एक टीम सोलापुर महाराष्ट्र पहुंच गई और स्थानीय पुलिस की मदद से सभी बंधक बने श्रमिकों को मुक्त कराया और जबलपुर लेकर आए, बीती रात घर पहुंचे श्रमिक अपने परिजनों से मिले तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
पुलिस का कहना है कि श्रमिकों ने सोलापुर जिले के मेहुल थाना में लिखकर दिया कि वे कोई कार्यवाही नहीं चाहते है उन्हे अपने घर जाना है, श्रमिकों ने यह जरुर कहा कि उनसे काम कराया गया लेकिन मजदूरी नहीं दी गई. गौरतलब है कि इसी तरह का एक मामला कटनी के बहोरीबंद क्षेत्र से भी सामने आ चुका है, यहां के श्रमिकों को भी बंधक बनाकर मजदूरी कराई गई थी, जिन्हे कटनी पुलिस ने मुक्त कराया था.