महीने की त्रयोदशी तिथि के सायंकाल को प्रदोष काल कहा जाता है. हर महीने में यह त्रयोदशी तिथि एक बार शुक्ल पक्ष में आती है और एक बार कृष्ण पक्ष में. इसीलिए हर महीने में प्रदोष व्रत दो बार आता है. आज 26 जनवरी मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है. इसे मंगल प्रदोष भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त प्रदोष व्रत रखता है उसकी सभी कामनाओं की पूर्ती होती है, मंगल दोष शांत होता है और दरिद्रता का नाश होता है. भौम प्रदोष व्रत में भोलेशंकर भगवान शिव और राम भक्त हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व होता है. प्रदोष व्रत की कथा भी काफी पुण्य फल देने वाली मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जहां जीवन खुशहाल होता है वहीं हनुमान जी की पूजा करने से शत्रुओं का विनाश होता है.  

भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की उपासना करने के लिए सुबह उठकर पूजा का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प लेने के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव की मूर्ति ईशान कोण में स्थापित करके उस पर पुष्प और नैवेद्द्य चढ़ाकर दीपक जलाना चाहिए. इतना करने के बाद कुश के आसन पर बैठ कर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव से अपनी समस्याओं के खत्म होने की प्रार्थना करनी चाहिए.

शत्रुओं की शांति के लिए ऐसे करें हनुमान जी की पूजा

शत्रुओं या विरोधियों को शांत करने के लिए भौम प्रदोष के दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. इसके लिए भौम प्रदोष के दिन सुबह लाल वस्त्र पहनकर हनुमान जी पूजा करनी चाहिए. इस दिन हनुमान जी को पूजा में लाल पुष्प की माला और तांबे का एक तिकोना टुकड़ा चढ़ाना चाहिए. इसके बाद गुड़ का भोग लगाकर दीपक जलाना चाहिए. इतना करने के बाद संकटमोचन हनुमानाष्टक का 11 बार पाठ करना चाहिए. पूजा करने के बाद तिकोने टुकड़े को अपने पास रखना चाहिए या गले में धारण करना चाहिए.