नई दिल्ली. दिल्ली हिंसा में बड़ा खुलासा हुआ है. दिल्ली हिंसा में खालिस्तानी हाथ होने के सबूत मिले हैं. खालिस्तानी ट्विटर हैंडल से रची हिंसा की साजिश गयी. ये तमाम खालिस्तानी ट्वीटर हैंडल दिल्ली पुलिस के रडार पर हैं. सभी खालिस्तानी ट्विटर हैंडल की पहचान कर उनके कंटेंट का डंप लिया जा रहा है. ट्विटर हैंडल कहाँ, कब और किसने बनाया गया दिल्ली पुलिस यह तमाम डिटेल खंगालने में जुटी है. ट्विटर हैंडल से कई भड़काऊ ट्वीट किए गए हैं.
जांच में आईएसआई-खालिस्तान गठजोड़ का पता चला है. दोनों मिलकर न केवल इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोगों को बरगला रहे हैं, बल्कि उपद्रव करने वालों को फंडिंग भी कर रहे हैं. गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुआ उपद्रव भी इसी का नतीजा था. लिहाजा दिल्ली पुलिस की कोशिश है कि आईएसआई-खालिस्तान गठजोड़ मौके का फायदा न उठा सके. इसके लिए पुलिस की स्पेशल सेल तमाम संदिग्धों पर नजर रख रही है. सेल के पुलिस अधिकारी पंजाब और कश्मीर के पुलिस अधिकारी से संपर्क में हैं. संदिग्ध और गैंगस्टरों पर नजर रखी जा रही है.
इससे पहले किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली पुलिस को तीन सौ से ज्यादा ऐसे नए ट्विटर अकाउंट का पता चला था, जिनसे लगातार भड़काऊ पोस्ट किए जा रहे थे. इन सभी का संचालन फर्जी नाम व खाते के माध्यम से पकिस्तान से किया जा रहा था1 जांच में यह भी बात सामने आई कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी खालिस्तान समर्थकों के साथ मिलकर साजिश रच रही थी. इसके बाद इन सभी खातों को बंद करा दिया गया था. बावजूद इसके स्पेशल सेल ने आनलाइन मीडिया पर अपनी निगरानी बढ़ा दी है.
पुलिस अधिकारियों के अनुसार खालिस्तान समर्थित नेता पाकिस्तान की शह पर लगातार भारत में गड़बड़ी फैलाने में जुटे हुए हैं. उनके समर्थन से ही खालिस्तान समर्थक लोगों को गुमराह कर गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर उपद्रव करवाने के बाद झंडा फहरवाने में सफल रहे. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि खालिस्तानी नेता दोबारा से कट्टरपंथी उग्रवाद को पुनर्जीवित करने में जुटे हैं. इसके लिए आतंकी और गैंगस्टरों का सहारा लिया जा रहा है.