नई दिल्ली. कृषि कानून के विरोध में पिछले कई दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के संबंध में 10 विपक्षी पार्टी के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा है.

सांसदों ने अपने पत्र के माध्यम से लोकसभा स्पीकर को बताया है कि गाजीपुर बॉर्डर पर भारत-पाकिस्तान सीमा जैसे हालात पैदा हो गए हैं. किसानों की स्थिति जेल के कैदियों जैसी हो गई है. सांसदों की ओर से बताया गया है कि शिरोमणी अकाली दल, एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस समेत कई पाटिज़्यों के 15 सांसद गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों से बातचीत करने के लिए गए थे लेकिन उन्हें किसानों से मिलने ही नहीं दिया गया.

गाजीपुर बॉडज़्र पर किसानों से मिलने पहुंचीं शिरोमणी अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल के अनुसार उन्हें और उनके साथ अन्य पार्टियों के सांसदों को प्रदर्शन स्थल जाने की इजाजत नहीं दी गई. बताया जा रहा है कि हरसिमरत कौर बादल के साथ राकांपा की सुप्रिया सुले, द्रमुक की कोनिमोई और तिरूची शिवा, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय भी किसानों से मिलने गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे. उनके साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस, आरएसपी और आईयूएमएल के सांसद भी थे.

सांसदों को किसानों से मिलने से रोके जाने के बाद पनपे विवाद के बाद गाजियाबाद पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने गाजीपुर में प्रदर्शन स्थल जाने से प्रतिनिधिमंडल को नहीं रोका.

वहीं पुलिस महकमे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया सभी राजनीतिक दलों के नेता वहां आ रहे हैं और हम किसी को रोक नहीं रहे. उन्हें दूसरी तरफ  रोका गया होगा. गौरतलब है कि संसद में चर्चा के दौरान एक बार फिर विपक्षी दलों ने सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की है. विपक्षी दलों ने सरकार से कहा है कि वह प्रदर्शनकारी किसानों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव करना बंद करे.