प्रदीप द्विवेदी. यकीनन, पॉप स्टार रिहाना समेत उन सभी विदेशी व्यक्तियों को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जिन्होंने किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणियां की हैं.

रिहाना का हस्तक्षेप आपत्तिजनक है और इसका विरोध होना ही चाहिए, लेकिन अबकी बार ट्रंप सरकार भी तो गलत ही था, दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में आपको बोलने का हक किसने दिया है, नमस्ते ट्रंप का अधिकार आपको कहां से मिला था?

पीएम मोदी के दो चेहरे हैं. एक चेहरा लेकर वे विदेशी नेताओं से मिलते रहे हैं, उन्हें गले लगाते रहे हैं, लेकिन देश के नेताओं से दो गज दूरी के नियम पर चलते हैं.

एक काल की दूरी पर बैठे पीएम मोदी किसानों से मिलने दिल्ली की सीमा पर नहीं जाते हैं, कच्छ, गुजरात जाते हैं.

हारने और टालने वाले किसान आंदोलन जैसे मुद्दे राजनाथ सिंह, नरेन्द्र तोमर जैसे नेताओं के हवाले कर देते हैं और उपलब्धियों वाले बयान लेकर टीवी पर आ जाते हैं.

किसान आंदोलन के मद्देनज़र जैसी दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था की गई है, यदि भारत-चीन सीमा पर ध्यान दिया होता तो, वहां चीनी गांव नहीं बस जाता. चीन का तो नाम तक लेने से पीएम मोदी बचते रहे हैं.