मुंबई. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को कुछ नसीहत दी है. शरद पवार ने सचिन को किसानों के बारे में बोलने के दौरान काफी सावधानी बरतने की सलाह दी है. दरअसल अमेरिकी गायिका रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित कुछ विदेशी शख्सियतों के प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में ट्वीट के बाद तेंदुलकर और प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर सहित विभिन्न हस्तियों ने सोशल मीडिया पर इंडिया टुगैदर और इंडिया अगेन्स्ड प्रोपेगैंडा हैश टैग से सरकार के रुख के समर्थन में ट्वीट किए थे, जिसके जवाब में पवार ने ये बात कही.
तेंदुलकर और मंगेशकर जैसी हस्तियों की ओर से किसान आंदोलन के संबंध में प्रतिक्रिया दिए जाने के सवाल पर पवार ने कहा कि लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. पवार ने कहा कि मैं सचिन तेंदुलकर को सुझाव दूंगा कि उन्हें अन्य क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर बयान देने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों को खालिस्तानी और आतंकवादी कहकर आंदोलन को बदनाम कर रही है.
वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को आंदोलनरत किसानों के समर्थन में ट्वीट करने वाली विदेशी हस्तियों पर पलटवार के लिए चलाए गए अपने अभियान में लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को नहीं उतारना चाहिए था. ऐसे में इन हस्तियों को भी सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिकी गायिका रिहाना और अन्य हस्तियों का नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करना भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने जैसा था, तो डोनाल्ड ट्रंप के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा भी परेशानी भरा था.
राज ठाकरे ने पत्रकारों से कहा कि केंद्र को लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को उसके रुख के समर्थन में ट्वीट करने के लिए नहीं कहना चाहिए था और उनकी प्रतिष्ठा को दाव पर नहीं लगाना चाहिए था. अब उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रॉलिंग का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को अपने अभियान के लिए अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं का उपयोग ही सीमित रखाना चाहिए.
ठाकरे ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान मोदी की ह्यूस्टन रैली को हवाला देते हुए कहा कि इस आधार पर, अमेरिका में अगली बार, ट्रंप सरकार जैसी रैली करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. यह उस देश का आंतरिक मामला था. उन्होंने यह भी कहा कि किसान जिन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, उनमें कुछ कमियां हो सकती हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए.