लंदन. ब्रेग्जिट (यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलगाव) का नुकसान ब्रिटिश कारोबारियों को ही उठाना पड़ रहा है. ये बात ब्रेग्जिट के बाद के पहले महीने यानी बीते जनवरी के आंकड़ों से जाहिर हुई है. ब्रिटेन के रविवारीय अखबार ऑब्जर्वर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने ब्रिटेन के बंदरगाहों से ईयू क्षेत्र को होने वाले निर्यात में 68 फीसदी की गिरावट आई. ऑब्जर्वर ने कहा है कि इस गिरावट का कारण ज्यादातर मामलों में ब्रेग्जिट के कारण पैदा हुई दिक्कतें रहीं.

अखबार के मुताबिक ब्रिटिश सरकार को निर्यात में गिरावट संबंधी पूरी जानकारी दी गई है. ये जानकारी अंतरराष्ट्रीय कारोबारियों के बीच किए गए एक सर्वे रिपोर्ट पर आधारित है. सर्वे ब्रिटेन के सड़क परिवहन संघ (रोड हॉउलेज एसोशिएशन- आरएचए) ने कराया.

एक फरवरी को मंत्रिमंडलीय कार्यालय मंत्री माइकल गोव को लिखे पत्र में आरएचए के चीफ एग्जिक्यूटिव रिचर्ड बर्नेट ने ध्यान दिलाया कि उनका संगठन कई महीनों से संभावित समस्याओं के बारे में आगाह कर रहा था. संभावित दिक्कतों को कम करने के बारे में सुझाव भी उसने दिए थे. लेकिन सरकार ने उन सबको नजरअंदाज कर दिया.

बर्नेट ने द ऑब्जर्वर से कहा है कि ब्रेग्जिट के कारण अब कागजी औपचारिकताएं बहुत बढ़ गई हैं. इस ध्यान में रखते हुए कस्टम एजेंटों की संख्या नहीं बढ़ाई गई. आरएचए का अनुमान है कि अभी जितने कस्टम एजेंट चाहिए, उसकी तुलना में सिर्फ 20 फीसदी ही उपलब्ध हैँ. बर्नेट ने बताया कि फिलहाल ईयू से जितने वाहन बंदरगाहों पर आ रहे हैं, उनमें से 65 से 75 फीसदी तक खाली वापस जा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि बंदरगाहों पर निर्यात के लिए तैयार माल जरूरी मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं.

ब्रिटिश पोर्ट्स एसोसिएशन के प्रमुख रिचर्ड बेलैंटाइन ने कहा है कि आरएचए का निर्यात में 68 फीसदी गिरावट का अनुमान ट्रैफिक में आई गिरावट से मेल खाता है लेकिन उन्होंने आरएचए की इस बात को सही नहीं माना कि इसकी पूरी वजह कागजी औपचारिकताओं में बढ़ोतरी है.

उन्होंने कहा कि कागजी औपचारिकताओं में इजाफा इसका एक कारण है लेकिन दूसरी वजहें भी हैं. उन्होंने कहा कि आयात-निर्यात का नया ढांचा खड़ा किए बिना ब्रेग्जिट को अंजाम दिया गया. अब इसका असर यह हो सकता है कि दोनों ही पक्ष अपने लिए नए बाजार की तालाश करें. बैलेंटाइन ने कहा कि ब्रिटेन ईयू से होने वाले आयात की पूरी जांच-परख की व्यवस्था अगले एक जुलाई से लागू कर देगा. तब स्थिति और बिगड़ सकती है. 

ब्रेग्जिट के साथ ब्रिटिश सरकार ने छह महीनों का ग्रेस पीरियड दिया था. यानी अभी आयात पर पूरी जांच पड़ताल नहीं हो रही है. ज्यादातर कारोबारी इस राय से सहमत हैं कि ये अवधि खत्म होने के बाद स्थिति और बिगड़ सकती है. फ्रोजेन और चिल्ड खाद्य पदार्थों के कारोबारियों के संघ कोल्ड चेन फेडरेशन के प्रमुख शेन ब्रेनन ने द ऑब्जर्वर से कहा- अप्रैल से जुलाई तक के बारे में सोचते हुए मेरी चिंता बढ़ जाती है.

हमें तब तूफान का सामना करना पड़ सकता है. तब देश लॉकडाउन से बाहर आ रहा होगा और उसी समय ब्रिटिश सरकार ने आयात नियंत्रण लगा देगी. ईयू देशों के कारोबारी भी तब शायद उसके लिए उससे ज्यादा तैयार नहीं होंगे. तब ब्रेग्जिट से पैदा हुआ असली संकट देखने को मिलेगा.