पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान कान्हा में दो साल बाद एक बाघ को जंगल में छोड़ दिया गया, करीब ढाई साल के बाघ का पालन पोषण कान्हा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने किया है, इसके बाद उसे छोड़ा गया.
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2018 में एक नाले के किनारे 6 माह का शावक बीमार हालत में मिला था, जिसे कान्हा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने उसका इलाज कराकर करीब दो वर्ष तक पालन पोषण किया, इस बीच प्रबंधन को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, फिर भी बाघ की बेहतर तरीके से देखभाल की गई, दो वर्ष बाद बाघ को आज जंगल में छोड़ दिया गया, इसके पहले बाघ को बेहोश करके गले में सेटेलाइट कॉलर व वीएचएफ ट्रांसमिशन मशीन लगाई गई है, जिससे प्रबंधन के अधिकारी व कर्मचारी बाघ की जंगल में गतिविधियों पर नजर रख सके.
वन्य प्राणी विशेषज्ञों की माने तो जंगल में बाघ को वातावरण के अनुसार अपने आप को स्थापित करना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि बाघ की देखभाल जंगली जानवरों के बीच नहीं हुई है, इसलिए वह जंगल में शिकार के तरीकों से भी परिचित नहीं है.हालांकि प्रबंधन ने अपनी ओर हर वो बात सिखाई है जो जंगल में उसके काम आ सकती है, फिर भी बाघ को जंगल में वातावरण के अलावा अन्य बाघों का भी सामना करना होगा, जो एक बड़ी चुनौती ही होगी. वहीं प्रबंधन ने बाघ की निगरानी के लिए तीन से चार टीमों का गठन किया है जो आठ-आठ घंटे के अंतराल में बाघ पर नजर रखेगी.