नई दिल्ली. लोग आम तौर पर बचत करने के लिए अपने पैसे बेंक, पोस्टऑफिस जैसी अलग अलग जगह पर उन्हें रखते हैं. कुछ लोग पैसे जमीन में रख देते हैं तो कुछ लोग तिजोरी में या अपने बिस्तर के नीचे उसे छिपा के रखते हैं. घर में भी महिलाएं अपने पति के पैसे कई बार किसी डिब्बे में रख देते हैं. कई बार वह डिब्बों में रखे इन पैसों को भूल भी जाते हैं. नोटबंदी के दौरान ऐसे कई किस्से सामने आए जब इस तरह से रखे हुये पैसे सामने आए. कई बार तो ऐसा भी होता हैं कि लोग बैंक में रखे अपने पैसे भी भूल जाते हैं. देश के वित्त मंत्रालय द्वारा ऐसा ही एक आंकड़ा बाहर आया हैं जो काफी चौंकने वाला हैं.
देश के वित्त मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया हैं कि रिपोर्ट के अनुसार देश के अलग अलग बेंक में कई लोग अपने पैसे रख कर उसे ऐसे ही भूल गए हैं. मंत्रालय के अनुसार, यह रकम एक दो लाख नहीं, पर पूरे 35000 करोड़ हैं. इसके अलावा एक और रिपोर्ट सामने आई हैं जिसके अनुसार, देश की अलग अलग बीमा कंपनियों के पास 53116 करोड़ रुपए हैं. जिस पर किसी ने अपना अधिकार नहीं जताया हैं. जिसमें 1579 करोड़ रुपए एकसीडेंटल बीमे, टर्म प्लान और हाउस होल्डर बीमा के हैं. जिन पर भी अब तक किसी ने अपना अधिकार नहीं जताया हैं.
बेंकिंग एक्स्पर्ट्स का कहना हैं की कई लोग बेंक में न्यूनतम राशि न रखने पर लगने वाले चार्ज के भय से अपने बैंक अकाउंट में 500 या 1000 रुपए रहने देते हैं. कई समय तक उस पैसे को न निकालने के कारण उस न्यूनतम राशि पर उन्हें उस पर व्याज भी मिलने लगता हैं. इसके अलावा बीमा क्षेत्र से जुड़े हुये एक एक्सपेर्स का कहना हैं कि कई बार लोग अपनी पॉलिसी लेकर उसके मेच्योर हो जाने के बावजूद उसे नहीं लेते हैं. कई बार बीमा धारक की मृयु हो जाने के कारण उसके पैसे बीमा कंपनी के पास ही रह जाते हैं.
बेंकों में पड़े इन पैसों को आरबीआई में जमा कर दिया जाता हैं. आरबीआई इस पैसों का इस्तेमाल शिक्षा और जागृति फंड में करता हैं. यह पैसे वह ग्राहकों को प्रोत्साहन देने के और अन्य हेतुओं के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं. इसके अलावा बीमा कंपनियों के पास जो पैसे पड़े रहते हैं उनका इस्तेमाल वह केंद्र सरकार की सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में बुजुर्गों की सुविधा बढ़ाने के लिए करती हैं.