नई दिल्ली. राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यसभा में बोल रहे हैं. सभी की निगाहें इस भाषण के दौरान प्रधानमंत्री पर हैं.
पीएम मोदी ने बोलते हुए सबसे पहले सभी सांसदों को धन्यवाद कहा, जिन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही को अपना समय दिया. इसके बाद उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का उद्बोधन आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला रहा.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण एक नई उमंग, ऊर्जा और आत्मविश्वास पैदा करने वाला था. पीएम मोदी ने राष्ट्रपति का तहेदिल से आभार व्यक्त किया. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसान भाई समझें रूकावटों से विकास नहीं होता है, रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह ने किसानों को कहीं भी फसल बेचने की आजादी देने की बात कही थी. जो मनमोहन सिंह चाहते थे वो मैंने कर दिया. सियासत हावी हो तो अपने विचार छूट जाते हैं. जो विरोध कर रहे हैं उन्होंने भी अपने राज्यों में आधे अधूरे सुधार किए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि सुधारों पर अचानक कांग्रेस ने यू टर्न ले लिया, आंदोलन के जरिए सरकार को घेरिए लेकिन बदलाव जरूरी है. कांग्रेस वाले मेरी बात माने ना माने लेकिन मनमोहन सिंह की तो माने. छोटे किसान के पास बैंक खाता नहीं तो कर्ज कहां से लेगा. छोटे किसानों को कजज़्माफी का फायदा नहीं मिलता. छोटे किसान के पास सिंचाई की भी समस्या थी.
पीएम मोदी ने कहा कि देवगौड़ा जी ने कृषि कानून की तारीफ की. उन्होंने सरकार के अच्छे काम के बारे में बताया. खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ कहां है. मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण जी की बात बताना चाहता हूं. वो छोटे किसानों की दयनीय स्थिति पर हमेशा चिंता करते थे.
उन्होंने कहा कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है. ज्यादा से ज्यादा समय जो बात बताई गईं वो आंदोलन के संबंध में बताई गई. किस बात को लेकर आंदोलन है उस पर सब मौन रहे. जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उस पर भी चर्चा होती. जल, थल, नभ, अंतरिक्ष भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए अपने सामथ्र्य के साथ खड़ा है. सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक भारत की कैपेबिलिटी को दुनिया ने देखा है.
पीएम मोदी ने कहा कि इस कोरोना काल में भारत ने वैश्विक संबंधों में एक विशिष्ट स्थान बनाया है, वैसे ही भारत ने हमारे फेडरल स्ट्रक्चर को इस कोरोना काल में, हमारी अंतर्भूत ताकत क्या है, संकट के समय हम कैसे मिलकर काम कर सकते हैं, ये केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर कर दिखाया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को लेकर यहां काफी उपदेश दिए गए हैं. लेकिन मैं नहीं मानता हूं कि जो बातें यहां बताई गईं हैं, उसमें देश का कोई भी नागरिक भरोसा करेगा. भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है कि जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जतायी थीं. विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताई.
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है, लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है. गर्व करने में क्या जाता है? विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है?
उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए ये भी एक अवसर है कि हम आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये अपने आप में एक प्रेरक अवसर है. हम जहां भी, जिस रूप में हों मां भारती की संतान के रूप में इस आजादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो देश युवा हो. जो देश उत्साह से भरा हुआ हो. जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो. वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता.