पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जल उपभोक्ता समितियों को बड़ी राहत दी है, हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार द्वारा प्रदेश भर की निर्वाचित जल उपभोक्ता समितियों को भंग करने की अधिसूचना को निरस्त कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय शुक्ला की डबल बैंच ने मामले की सुनवाई की, कोर्ट ने सभी समितियों को बहाल करते हुए कार्यकाल पूरा करने का आदेश दिया है.

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरका ने 23 जनवरी 2020 को संशोधन करते हुए जल उपभोक्ता समितियों को कार्यकाल 6 से पांच वर्ष कर दिया था, इसके बाद तत्पश्चात 7 मार्च 2020 को अधिसूचना जारी कर प्रदेश भर में किसानों द्वारा ब्लॉक स्तर पर चुनी गई जल उपभोक्ता समितियों को भंग करते हुए उनका प्रभार उस क्षेत्र के संबंधित अनुविभागीय अधिकारियों को सौंप दिया था. इस मामले में पनागर क्षेत्र की जल उपभोक्ता समितियों के निर्वाचित अध्यक्ष किशन पटेल, नीरज पटेल, विनोद उपाध्याय और सुरजीत पटेल ने याचिका लगाई थी. उनकी ओर से हाईकोर्ट में अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने दलील पेश की कि जब समितियों का विधिवत चुनाव हुआ तो कार्यकाल निर्वाचन से 6 वर्ष के लिए था. ऐसे में निर्वाचित का अधिकार था कि वे अपने पूर्ण कार्यकाल तक पद पर रहे.

कोई भी भावी संशोधन प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता. इन समितियों ने तो संशोधित किए गए 5 वर्ष का कार्यकाल भी पूर्ण नहीं किया है. उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आनंद त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी, प्रशांत अवस्थी,  सुधाकर मणि पटेल और अपूर्व त्रिवेदी ने बताया कि समितियों को भंग करने का सिर्फ राजनीतिक कारण था. समितियों का जब चुनाव हुआ तब प्रदेश में बीजेपी सरकार थी. अधिकतर चुने गए अध्यक्ष बीजेपी समर्थित थे, इसी दुर्भावना के चलते समितियों का पहले कार्यकाल छह से पांच वर्ष किया गया और फिर सात मार्च 2020 को भंग कर प्रशासक नियुक्त कर दिया गया था.