नई दिल्ली. राज्यसभा ने मंगलवार को दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया. विधेयक ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) द्वितीय (संशोधन) अध्यादेश, 2020 की जगह ली जिसे 30 दिसंबर 2020 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अनुमति दे दी थी. बता दें कि इस कानून से दिल्ली में 1.35 करोड़ लोग, जो अनधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं, उन्हें उनका मालिकाना हक मिलेगा. आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा कि सरकार ने जहां झुग्गी वहीं मकान का वादा पूरा किया है.
पुरी ने कहा कि इससे दिल्ली में न सिर्फ 1.35 करोड़ लोगों की रहने की स्थिति में सुधार होगा बल्कि सेंट्रल विस्टा परियोजना भी दिल्ली को दुनिया के बेहतरीन शहरों में से एक बनाएगी. अध्यादेश ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) द्वितीय अधिनियम, 2011 में संशोधन किया है. 2011 का कानून 31 दिसंबर, 2020 तक वैध था. अध्यादेश ने समयसीमा को बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2023 कर दिया है. 2011 का कानून 31 मार्च, 2002 तक राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद अनधिकृत कॉलोनियों, जहाँ निर्माण 1 जून 2014 तक हुआ था, के नियमन की बात करता है. इससे पहले हरदीप पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में विधेयक पेश किया था. ये अध्यादेश संशोधन करने के लिए लाया गया था. जिससे कि अनधिकृत कालोनियों में रहने वालों को उनकी संपत्ति पर अधिकार दिया जा सके. साथ ही कॉलोनियों का नियमन भी किया जा सके. अनधिकृत कॉलोनियों जो कि 1 जून, 2014 तक बनी हैं और 1 जनवरी, 2015 तक आधी बन चुकी हैं, को नियमित किया जाएगा. सरकार ने इस विधेयक के माध्यम से अध्यादेश को एक कानून में बदल दिया है.