साल भर में 4 नवरात्रि आती है. 2 गुप्त नवरात्र और एक चैत्र में और एक शरद ऋतु में चैत्र के नवरात्र में व शारदीय नवरात्र में देवी की पूजा की जाती है. व्रत उपवास रखा जाता है. इसमे गोपनीयता आवश्यक नही होती है. परंतु गुप्त नवरात्र में गोपनीयता के साथ देवी पूजा व तांत्रिक साधनाये दस माहाविद्या की साधना की जाती है. जो कि पूर्ण रूप से गुप्त रहकर की जाती है. गुप्त नवरात्र में जो उपाय कियर जाते है उनका प्रबल असर होता है. बस आपमे श्रद्धा और विस्वास होना चाहिए अगर आपकी कुंडली मे कोई ग्रह पोडित है, तो ग्रह से सबंधित माता की पूजा करकर ग्रह पीड़ा से निजात पाई जा सकती है. चुकी ये गुप्त नवरात्र होते है अतएव उपाय भी आपका गुप्त रहना चाहिए तभी अधिक फलदायक होता है. और 100% असरदारक भी होता है.

जिनको भी शुक्र से सबंधित पीड़ा हो रही है या आर्थिक समस्या है या जिन पुरुषों को वैवाहिक जीवन मे समस्या चल रही हो या किसी रिश्ते में प्रेम समाप्त हो गया हो उनके लिए ये उपाय अमृत तुल्य साबित होगा

नवरात्र के प्रथम दिवस यानी 12 फरवरी को सुबह नहा धोकर अपने पूजा स्थान की साफ सफाई करले उसके बाद माता की तस्वीर को स्न्नान करा लें स्न्नान के पश्चात तिलक लगाएं इत्र चढ़ाए गुलाब के फूल या माला चढ़ाए घी का दीपक जलाएं दीपक इतना बड़ा होना चाहिए कि आपके माला करने तक चलता रहे धूप बत्ती लगाए अनार का फल चढ़ाए भोग में किशमिश ओर मिश्री रखे साथ मे खीर भी रख सकते है पूजन के पश्चात अपने कार्य का संकल्प ले जिस भी कार्य के लिए आप जाप कर रहे है. उस कार्य का संकल्प ले सकते है.

सर्वप्रथम एक माला ॐ गंग गणपतये नमो नमः की करे व गणेश जी से अपना कार्य में कोई विघ्न न आने की प्राथर्ना करे उसके बाद एक माला ॐ बम बटुक भैरवाय नमः की करकर भैरवजी को प्रणाम करे उसके बाद एक माला ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः की करकर अपने पितरों से इजाजत मांगे अगर गुरु मंत्र है तो उसकी 1 माला करे अन्यथा शिवजी को गुरु मानकर एक माला ॐ नमः शिवाय की करे:-

गणेश जी भैरवजी जी पितरों की गुरु मंत्र की माला आपको केवल प्रथम दिन ही करनी है दूसरे दिन से इन सभी को प्रणाम करके मूल मंत्र की माला करनी है.

उसके बाद कोई भी देवी स्तुति पढ़े उसके बाद 21 माला निम्न मंत्र की करनी है.

ॐ दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.

दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता

माला रुद्राक्ष की रहेगी आसान लाल रहेगा दिशा दक्षिण को छोड़कर कोई भी रख सकते है सम्भव हो तो वस्त्र भी लाल रखे अन्यथा कोई भी एक वस्त्र शरीर पर लाल अवश्य रखे

जाप करने के बाद 3 माला जाप से हवन करना है हवन में हवन सामग्री साधारण ही रख सकते है. जिसमे हवन पुडा गूगल पंचमेवा चावल काले तिल इंद्रियां जो किशमिश घी मिक्ष करके उससे हवन करना है. हवन के पश्चात दाहिने हाथ मे जल लेकर जल को छोड़ते हुए अपने जप माता को समर्पित कर देने है बाद में माफी मांगते हुए प्रणाम करके उठ जाए ऐसा आपको 9 दिन तक करना है दसवें दिन कुछ कन्याओं को भोजन अवश्य करा दे सम्भव हो तो व्रत रखें

नवरात्र के दिनों में स्त्रियो को भूलकर भी गलत न बोले न गलत दृष्टि से देखे झूठ न बोले तामसिक भोजन न करे

जिनको वैवाहिक जीवन मे समस्या चल रही है पर पत्नी छोड़कर चली गई हो वो निम्न मंत्र की 21 माला करे:-

क्लीं(क्लीम)  'ज्ञानिनामपि चेतांसि, देवी भगवती ह्री सा.

बलादाकृष्य मोहाय, महामाया प्रयच्छति क्लीम

पूरी विधि समान ही रहेगी बस हवन सामग्री में इस मंत्र का हवन पायस,तिल, घृत, इलायची, बिल्व पत्र मिलाकर करना है.

अगर आप स्वयँ नही कर सकते तो किसी पंडित जी से भी ये करा सकते है.

करे और स्वयँ असर देखे

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें - 9131366453