जबलपुर. पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे नागरिकों को मध्य प्रदेश में बिजली का जोर का झटका लगने वाला है. दरअसल घाटे में चल रही बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग मेें बिजली की कीमतें बढ़ाने की याचिका दायर की है.
मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियां लंबे घाटे में चल रही हैं. उन्हें बिजली की खपत के मुकाबले आमदनी नहीं हो पा रही है. इस वजह से बिजली कंपनियों को हर साल हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. बिजली कंपनियों ने 2019-20 वित्तीय वर्ष में 4 हजार 752 करोड़ रुपए का घाटा दर्शाया है. विद्युत नियामक आयोग के पास दर्ज की गई अपनी याचिका में बिजली कंपनियों का कहना है साल 2019 20 में तीनों कंपनियों को नुकसान हुआ है. इसकी भरपाई के लिए बिजली के दाम बढ़ाने चाहिए.
पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी सबसे ज़्यादा घाटा में
इन तीनों में से मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सबसे ज्यादा नुकसान में रही. पूर्व क्षेत्र कंपनी को 2 हजार 458 करोड़ रुपए का नुकसान बताया गया है. मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी को 1हजार 990 करोड़ और पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी को 303 करोड़ का नुकसान हुआ.
36 हज़ार करोड़ का घाटा
हैरानी की बात यह है कि यह घाटा इसी साल नहीं हुआ है. बल्कि पिछले 6 साल से बिजली कंपनियों को साल दर साल घाटा लगता आ रहा है. 6 साल में कुल 36 हजार करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है. सवाल यह है कि जब मध्य प्रदेश में सबसे महंगी बिजली बेची जा रही है. मध्यप्रदेश में बिजली का उत्पादन होने लगा है और हम दूसरे प्रदेश को बिजली बेच रहे हैं तो फिर इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद यहां बिजली कंपनियां घाटे में कैसे हैं.