दमोह. दमोह के 14 मजदूरों को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बंधक बनाकर काम करवाया जा रहा था. दमोह जिला प्रशासन ने इन्हें छुड़ा लिया है और दमोह लाया गया है. दमोह पहुंचे मजदूरों ने जिला प्रशासन का धन्यवाद दिया और कहा कि यदि प्रशासन उन्हें गांव में ही मजदूरी दिलाएगा तो अब कभी अन्य राज्यों में मजदूरी करने नहीं जाएंगे.

दमोह के बड़ापुरा निवासी मजदूर दीपक अहिरवार ने बताया कि वह कुछ महीने पहले मजदूरी करने महाराष्ट्र के कोल्हापुर गया था जहां उसकी पहचान दो लोगों से हो गई थी. 2 महीने पहले वह दो लोग उसे और 17 मजदूरों को महाराष्ट्र के कोल्हापुर ले गए. इन लोगों में 5 बच्चे भी थे, जहां उन्हें बंधक बना लिया गया. मजदूरों ने बताया कि 20 घंटे काम कराया जाता था और यातनाएं दी जाती थीं, पैसे नहीं दिए जाते थे.

मजदूरों को बंधक बना लिया गया और वह अपने आपको छुड़ा नहीं पा रहे थे. किसी तरह उन्होंने जिला प्रशासन तक अपने बंधक होने की जानकारी पहुंचाई. इसके बाद कलेक्टर तरुण राठी ने इन मजदूरों को छुड़ाने का प्रयास शुरू किया. श्रम विभाग और जन सेवा संस्थान एक एनजीओ के माध्यम से टीम महाराष्ट्र कोल्हापुर भेजी गई साथ ही संबंधित जिला प्रशासन को इस बात की सूचना दी गई कि दमोह जिले के कुछ मजदूर वहां पर बंधक बनाए गए है.

टीम ने कोल्हापुर प्रशासन से संपर्क किया और जहां मजदूर बंधक बनाए गए थे, वहां जाकर बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया और आरोपितों पर 8 धाराओं में मामला दर्ज कराया. मुख्य आरोपित बाबा हुसैन को गिरफ्तार किया गया. ट्रेन के माध्यम से इन मजदूरों को लेकर दमोह पहुंचे और आज सुबह जिला प्रशासन के अधिकारियों सामने इन मजदूरों को खड़ा करने के बाद उनके निवास स्थान पहुंचाया. मजदूरों ने बताया कि यदि समय रहते जिला प्रशासन की मदद नहीं करता तो हो सकता है कि उनकी जान भी चली जाती है इसलिए उन्होंने जिला प्रशासन का धन्यवाद दिया है.