हैदराबाद. यात्री को जानकारी दिए बिना अचानक ट्रेन कैंसिल करना रेलवे को भारी पड़ा. उपभोक्ता फोरम ने रेलवे को पैसेंजर को 15,000 रुपये का मुआवजा देने को कहा है. सिकंदराबाद के पी. रामचंद्र राव ने इस मामले में उपभोक्ता फोरम में शिकायत की थी. राव ने 9 फरवरी 2019 को आईआरसीटीसी से टिकट खरीदी था. यह टिकट 16 फरवरी, 2019 को बेंगलूरु से काचीगुड़ा (हैदराबाद) की यात्रा के लिए थी.

रामचंद्र राव ने इस टिकट के लिए 249.41 रुपये दिए थे. टिकट का स्टेटस वेटिंग लिस्ट में था. बाद में यह आरएसी में बदल गया और इसके 97 फीसदी कन्फर्म होने के चांस थे. राव ने कहा, मैं दूसरी ट्रेनों का स्टेटस चेक कर रहा था कि तभी मैंने देखा कि जिस ट्रेन में मैंने टिकट बुक कराई थी वह कैंसिल हो गई. एक तरफ मेरी टिकट में आरएसी स्टेटस दिखा रहा था और दूसरी ओर ट्रेन कैंसिल हो गई थी. मैंने फिर 1063.40 रुपये देकर गरीब रथ में हैदराबाद की तत्काल टिकट बुक कराई.

रेलवे ने दी यह दलील

यात्री ने अपनी शिकायत में कहा कि रेलवे ने राजधानी एक्सप्रेस कैंसिल नहीं की, जो रात 8 बजे बेंगलूरु से छूटने वाली थी. उसने ट्रेन संख्या 12786 कैंसिल की जिसे शाम 6 बजकर 20 मिनट पर रवाना होना था. उन्होंने कहा कि रेलवे ने ट्रेन कैंसिल करने का कोई कारण नहीं बताया. इससे यात्रियों का काफी असुविधा हुई. रेलवे ने अपनी दलील में कहा कि सिगनल सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए कुछ ट्रेनों को कैंसिल किया गया था. रेलवे ने साथ ही कहा कि उसने 15 फरवरी को इस बारे में न्यूज बुलेटिन जारी किया था. रेलवे का कहना था कि राजधानी एक्सप्रेस का रूट अलग था, इसलिए उसे कैंसिल नहीं किया गया.

रेलवे पर जुर्माना

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आयोग ने कहा कि अगर न्यूज बुलेटिन के बारे में शिकायतकर्ता को तुरंत बता दिया गया होता तो वह 15 फरवरी को ही वैकल्पिक उपाय कर सकता था. इससे उससे परेशानी नहीं होती. आयोग ने रेलवे को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को तत्काल टिकट की राशि यानी 1063.40 रुपये दे. रेलवे को साथ ही शिकायतकर्ता को 10 हजार रुपये का मुआवजा और 5000 रुपये लिटिगेशन का खर्च भी देना होगा.