नई दिल्ली. रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला के इंजीनियरों ने एलएचबी प्लेटफार्म पर एक नए एसी3 कोच को तैयार किया है. इसमें न सिर्फ पहले के मुकाबले बेहतर सुविधाएं हैं, बल्कि इसमें बर्थों की संख्या भी 15 फीसदी बढ़ गई है. सबसे अच्छी बात है कि इस कोच के साइड बर्थ में तीन बर्थ नहीं लगाई गई है. इससे सस्ते में एसी में यात्रा संभव हो सकेगी.

एलएचबी में इस तरह के कोच की कल्पना गरीब रथ  के कोच से प्रेरित है. लेकिन गरीब रथ के साइड में तीन बर्थ की खूब आलोचना होती है. इसलिए इस कोच में ऐसा नहीं किया गया है. इसके विकसित हो जाने के बाद माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में मेल और एक्सप्रेस गाड़ियों में स्लीपर कोच के स्थान पर एसी3 के अधिक से अधिक डिब्बे लगाए जा सकेंगे. क्योंकि इस कोच का किराया सामान्य एसी3 डिब्बे के मुकाबले कम जबकि स्लीपर कोच के मुकाबले थोड़ा ही ज्यादा होगा.

एलएचबी प्लेटफार्म पर तैयार किए गए इस इकोनोमी एसी3 डिब्बों में 83 सीटें बनाई गई हैं. जबकि मेल और एक्सप्रेस गाड़ियों में लगाए जा रहे सामान्य एलएचबी के एसी3 कोच में 72 बर्थ ही होती हैं. मतलब 15.27 फीसदी ज्यादा सीटें. अभी तक माना जाता था कि वर्ष 2006 में तैयार हुए गरीब रथ के एसी3 कोच में सबसे ज्यादा, 74 सीटें होती हैं. लेकिन उसे नए कोच ने तो उसे भी मात दे दिया है क्योंकि इसमें 83 सीटों का इंतजाम है.

इस कोच को रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला में बनाया गया है. इसे अब रेलवे ट्रैक पर विभिन्न तरह के ट्रायल के लिए लखनऊ स्थित रेलवे के अनुसंधान, डिजायन एवं मानक संगठन भेजा गया है. वहां इसे ट्रायल यार्ड पर विभिन्न मानदंडों पर जांचा जाएगा. इसके साथ ही इसे ओपन लाइन में मैक्सिमम स्पीड पर दौड़ा कर, तेज गति में अचानक ब्रेक लगा कर और अन्य तरीके से जांचा जाएगा. यदि सभी मानकों पर यह कोच खरा उतरता है तो फिर इसे आगे के प्रोडक्शन के लिए हरी झंडी मिल जाएगी.

ऐसे बने अतिरिक्त 11 बर्थ

आरसीएफ के अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर कोच में बर्थ या सीट की संख्या बढ़ाने के लिए लेग स्पेस घटा दिया जाता है या साइड बर्थ में दो के बजाय तीन बर्थ डाल दिया जाता है. लेकिन इस कोच में ऐसा नहीं किया गया है. इस कोच में लेग स्पेस में महज कुछ इंचों की कमी की गई है. असली जगह पार्टिशन में लगाए जाने वाले सामानों की मोटाई कम करके निकाली गई है. इंजीनियरों का कहना है कि पार्टिशन में कंपोजिट मैटेरियल लगाया गया है ताकि उसकी मोटाई भले ही कम हो, लेकिन मजबूती में कमी नहीं आए. साथ ही ट्रेन की शुरूआत में बने बेडरोल रखने के लिए बने स्टोर, खाना गर्म करने के लिए लगाया गया हॉट केस और स्विच बोर्ड केबिनेट को भी हटा दिया गया है. स्विच बोर्ड केबिनेट को अब अंडर स्लंग कर दिया गया है. मतलब अब स्विच बोर्ड डिब्बे में नहीं होकर डिब्बे की चेसी के अंदर होगा.

कुछ सुविधाएं भी बढ़ी हैं

इस कोच में ज्यादा चौड़े और एक दिव्यांग अनुकूल प्रवेश द्वारा वाला टायलेट दिया गया है. हर बर्थ के लिए एसी वेंट उपलब्ध कराए गए हैं. इसके अलावा दोनों तरफ फोल्डिंग टेबल और बोटल होल्डर, मोबाइल फोन तथा मैग्जीन होल्डर्स भी उपलब्ध कराए गए हैं. हर बर्थ के लिए पढ़ने के रीडिंग लाइट और मोबाइल चार्जिग प्वाइंट भी लगाए गए हैं. मिडिल और अपर बर्थ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी का डिजायन बदला गया है ताकि यह देखने में भी सुंदर लगे और यात्रियों को असुविधा भी नहीं हो.