नई दिल्ली. दुनिया में कच्चे तेल के सबसे बड़े इंपोर्टर चीन में इसकी मांग बेहिसाब बढ़ रही है. यूं तो चीन सरकार का जोर इलेक्टिफिकेशन और मोटर व्हीकल में अधिक से अधिक ई व्हीकल अपनाने पर है. लेकिन तब भी अनुमान है कि वर्ष 2025 तक वहां पेट्रोलियम ईंधनों की डिमांड पीक पर पहुंच जाएगी. इससे दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतें चढ़ रही हैं. कल तो ब्रेंट क्रूड 62 डॉलर प्रति बैरल के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया. जबसे कोविड का प्रकोप हुआ है, तब से पहली बार ऐसा हुआ है कि इसकी कीमत यहां तक आई हो.

घरेलू बाजार में देखें तो आज यहां लगातार 5वें दिन दोनों ईंधनों में आग लगी. दिल्ली में शनिवार को पेट्रोल जहां 30 पैसे बढ़ कर 88.44 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है, वहीं डीजल तो 36 पैसे प्रति लीटर की छलांग लगा कर 78.74 रुपये प्रति लीटर के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया. इस समय लगभग हर शहरों में दोनों ईधनों के दाम ऑल टाइम हाई पर चल रहे हैं.

नया साल पेट्रोलियम ईंधनों के लिए अच्छा नहीं रहा है. यूं तो बीते जनवरी और फरवरी में महज 17 दिन ही पेट्रोल महंगा हुआ, लेकिन इतने दिनों में ही यह 4.63 रुपये महंगा हो गया है. मुंबई में तो पेट्रोल 95 रुपये के पास पहुंच गया है, जो कि मेट्रो शहरों में सबसे ज्यादा है. इसके साथ ही लगभग सभी शहरों में पेट्रोल उच्चतम स्तर पर चला गया. इससे पहले, बीते साल की दूसरी छमाही में भी पेट्रोल के दाम खूब बढ़े. देखा जाए तो बीते 10 महीने में ही इसके दाम में करीब 18 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है

पेट्रोल के साथ साथ डीजल की कीमत भी रिकार्ड बनाने की राह पर अग्रसर है. कल ही डीजल 35 पैसे चढ़ा था. आज फिर यह 36 पैसे महंगा हुआ है. नए साल में 17 दिनों के दौरान ही डीजल 4.87 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है. यह भी सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर है. देखा जाए तो पिछले 10 महीने में ही इसके दाम में 16 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है.