संजय सक्सेना ,लखनऊ. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हमेशा सुखिर्यो में बने रहते हैं. भले ही राहुल के चलते उनकी पार्टी के नेता कई बार असहज जो जाते हों, लेकिन राहुल ने कभी इस बात की चिंता नहीं की. उनके मन में या यों कहें उन्हें जो स्क्रिप्ट लिख कर दे दी जाती है उसे बिना दिमाग लगाए  पढ़ या ट्विट कर देते हैं. राहुल के कुछ पसंदीदा मुद्दे हैं जिस पर वह कभी भी मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए खड़े हो जाते हैं. इसमें चीन-पाकिस्तान, अडानी-अंबानी विशेष तौर पर छाए रहते हैं. चीन को लेकर राहुल खासे गुस्से में रहते हैं. इसी लिए वह तमाम मंचों से यह कहने में गुरेज नहीं करते हैं कि मोदी ने चीन के सामने घुटने टेक दिए, सरेंडर कर दिया.

समय के साथ राहुल अपने मुद्दे बदलते भी रहते हैं. यहां तक की वीर स्वतंत्रता सेनानियों की भी छवि खराब करने में राहुल को जरा भी गुरेज नहीं होता है. राहुल, भाजपा और संध को गोडसे की विचारधारा का प्रतीक बताते हैं. इसी प्रकार कभी शाहीन बाग तो कभी लड़ाकू विमान राफेल को लेकर राहुल गांधी, मोदी सरकार पर हमलावर होते थे. आजकल चीन और किसान राहुल के पसंदीदा विषय बन गए हैं.  राहुल को दोनो मामलों की कितनी जानकारी है, यह तो वही जाने लेकिन इससे शायद राहुल पर कोई फर्क भी नहीं पड़ता है. यही वजह है आजकल मोदी को घेरने के लिए राहुल ने चीन के साथ-साथ किसानों को अपना नया हथियार बना लिया है. हालात यह है कि बजट पर चर्चा के दौरान भी राहुल नये कृृषि कानून के खिलाफ राग छेड़ने से परहेज नहीं करते हैं. जबकि इस पर सदन में विस्तार से चर्चा हो चुकी है.  

ऐसा ही गत दिनों हुआ कृषि कानून का विरोध कर रही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने  तीन नये कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला और इससे मंडिया खत्म होने और कृषि क्षेत्र कुछ बड़े उद्योगपतियों के नियंत्रण में चले जाने का आरोप लगाया .

एक तरफ कांगे्रस के युवराज राहुल गांधी, मोदी सरकार पर हमला बोलने में गुरेज नहीं करते हैं तो मोदी सरकार के पास भी कई ऐसे धुरंधर मौजूद हैं जो राहुल को उनकी हैसियत बताते रहते हैं. इसमें सबसे खास है मोदी सरकार में मंत्री और अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी. अमेठी यानी गाधी परिवार का संसदीय क्षेत्र और सियासी गढ. यहां से 2014 में मोदी लहर में भी राहुल गांधी ने भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को हरा कर विजय हासिल की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने 2014 का बदला 2019 में पूरा कर लिया. अमेठी से हार का स्वाद चखने के बाद राहुल केरल की मुस्लिम बाहुल्य वायनाड सीट से जीत कर सांसद हो गए,लेकिन आज भी राहुल गांधी को अमेठी चिढ़ाता रहता है. अमेठी का नाम सुनते ही राहुल गांधी के सीने में ‘तीर ’ सा चुभ जाता है. राहुल के ‘सीने’ में यह तीर और कोई नहीं मोदी सरकार की मंत्री और अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी के शब्द बाणों के चलते चुभता है.  राहुल गांधी जब भी देश की समस्याओं को लेकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं तो स्मृति ईरानी, राहुल को अमेठी के बहाने आइना दिखाने लगती हैं. वह बार-बार,हर मंच से यह बताती फिरती हैं कि राहुल गांधी ने अमेठी के साथ कैसी नाइंसाफी की. राहुल के कार्यकाल में अमेठी सबसे ज्यादा पिछड़ा रहा. अमेठी को लेकर जिस तरह से ईरानी,राहुल गांधी पर हमलावर होती है. उसको देखते हुए भाजपाई स्मृति ईरानी को राहुल गांधी के खिलाफ अपना ट्रम्प समझते हैं तो इसमें कोई अतिशियोक्ति नहीं है.  

स्मृति ईरानी बार-बार जनता को बताती रहती हैं जिन लोगों ने अमेठी का विकास नहीं किया, वह देश पर क्या चर्चा करेंगे. जब कभी राहुल गांधी सरकार पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि मोदी सरकार की तानाशाही नीतियों और कानून के चलते भारत की खाद्य सुरक्षा प्रणाली खत्म हो जायेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा. मंडियां खत्म हो जाएंगी.कृषि क्षेत्र कुछ बड़े उद्योगपतियों के नियंत्रण में चला जाएगा.  असीमित जमाखोरी होगी.  जब किसान अपनी उपज का सही दाम मांगेगा तो उसे अदालत में नहीं जाने दिया जाएगा. मोदी सरकार के चलते देश का कृषि क्षेत्र मोदी के चहते दो-चार उद्योगपतियों के हाथ में चला जाएगा. तब स्मृति ईरानी उनके समाने दीवार के रूप में खड़ी हो जाती है. वह बताती हैं कि कैसे एक व्यक्ति झूठ की नींव पर कितनी बड़ी इमारत बना सकता है और देश और लोकतंत्र के मंदिर लोकसभा की गरिमा का बिल्कुल ख्याल नहीं रखते हुए संसद से पारित कानून को किस तरह काला कहता है. फिर वह जोड़ देती हैं कि जिस व्यक्ति ने अपने पूर्व संसदीय क्षेत्र अमेठी की सुध नहीं ली, वह देश पर क्या चर्चा करेंगा.