१. आप घर में घुसते हैं और अनायास तनावग्रस्त हो जाते हैं ,सर भारी हो जाता है जबकि आप बाहर बिलकुल ठीक थे.अनायास थकान भी महसूस होने लगी और शान्ति की भी चाह होने लगी जबकि बीबी बच्चे आपके आने से खुश हुए.आप चाहकर भी उनके साथ ख़ुशी का समय नहीं दे पा रहे.आपका दिमाग कहीं और जाकर अटक जा रहा.खुद को परिवार में खुशहाली नहीं दिखती.खुद ही परायापन लगता है.दूर से देखने पर घर मनहूस सा लगता है अथवा उसमे रौनक नहीं लगती.घर की चमक अथवा उज्वलता समाप्त हो रही है.बाहरी लोग के घर आने पर उलझन महसूस होता है.जो बाहरी भी आते हैं वह भी अधिक देर घर पर न रहना चाहते हैं.बाहरी लोगों अथवा रिश्तेदार -नातेदार के आने पर आर्थिक संतुलन बिगड़ जाता है और पर्याप्त आवभगत नहीं हो पाती.कभी कभी घर का खर्च निकालने के लिए कर्ज की स्थिति आ जाती है जबकि आपकी या परिवार की आय पर्याप्त है.कर्ज लेने पर कर्ज अदायगी मुश्किल हो जाती है.
२. आप घर में रहते हुए हमेशा उद्विग्नता ,घबराहट महसूस करते हैं और दिमाग भटकता ही रहता है.एक न एक उलझन /विचार चलते ही रहते हैं.पूजा-पाठ में मन नहीं लगता ,पूजा पाठ से सदैव मन भागता है ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो जाता है ,लगता है जैसे कोई और भी आसपास है ,जम्हाई अधिक आती है ,पूजा पाठ करने से दुर्घटनाएं या परेशानियां बढ़ जा रही हैं ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओं में अवरोध उत्पन्न हो रहा है.कुछ मंगल के काम करना चाहते हैं तो अनावश्यक रुकावट आ रही है.प्रगति रुकी लगती है अथवा अवनति होने लगती है|अपशकुन हो रहा है ,अनावश्यक आग आदि लग जाती है अथवा कपडे खराब हो जाते हैं. अपने ही घर में कभी कभी भय लगता है.घर -परिवार -रिश्तेदारी और समाज में पर्याप्त सम्मान नहीं मिल पा रहा.कभी सम्मान को ठेस भी लग जाती है या कभी कभी अपमानजनक स्थिति का भी सामना करना पद जाता है अपनी परिस्थिति अथवा परिवार के कारण.
३. आपके घर में अशांति का वातावरण है ,कलह होता है ,पति-पत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो जाता है, जबकि कोई बड़ा कारण नहीं समझ आता ,अचानक से आपसी समझदारी का संतुलन बिगड़ जाता है ,सब कुछ ठीक चलते चलते अचानक झगड़ा हो जाता है ,बीमारियाँ अधिक होती हैं ,आय-व्यय का संतुलन बिगड़ जाता है जबकि पर्याप्त आय हो रही है किन्तु बेवजह के खर्चे आ जा रहे हैं ,आकस्मिक दुर्घटनाएं हो जाती हैं ,रोग हो जाता है किन्तु कारण पता नहीं चलता ,सदस्यों में मतभेद हो जाता है ,संताने विरुद्ध जाने लगी हैं अथवा बहस करने लगी हैं,आपको कोई समझने का पयत्न नहीं करता और न ही परिस्थितियों अथवा खुद के या परिवार के भविष्य के बारे में कोई सोचता है ,संतान बिगड़ने लगी हैं ,उनके भविष्य असुरक्षित होने लगी हैं ,संतान हीनता की स्थिति हो रही या संतान होकर भी योग्य नहीं बन पा रही ,अधिक त्वचा रोग आदि हो रहा है.
यदि उपरोक्त प्रकार के लक्षण आपके साथ हैं तो मान लीजिये की सबकुछ सामान्य नहीं है.यह सब ग्रह दोष भी नहीं है.यह ग्रहीय स्थितियों से भिन्न नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव है ,जिनमे विभिन्न प्रकार की उर्जायें हो सकती हैं.वास्तु दोष हो सकता है ,स्थान दोष हो सकता है ,पित्र दोष हो सकता है ,कुलदेवता का दोष हो सकता है ,क्षेत्रपाल या ग्रामदेवता प्रभावित कर रहे ऐसा भी सम्भव है.कोई नकारात्मक शक्ति घर में प्रवेश कर गयी हो ऐसा हो सकता है.किसी ने कुछ कर -करा दिया हो अथवा कोई टोना टोटका किया गया हो ऐसा भी सम्भव है.कोई नकारात्मक ऊर्जा या शक्ति उस स्थान के नीचे दबी हो सकती है.इन सब में से कुछ या कई हो सकती हैं जिससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो रही और आपको तथा आपके परिवार को प्रभावित कर रही.
इन स्थितियों में ज्योतिषीय उपाय कारगर नहीं होते और व्यक्ति उपाय तलाशता ही रहता है अथवा कई उपाय करने पर भी लाभ नहीं होता.यहाँ जरूरत है एक अच्छे वास्तुशास्त्री की सलाह लेने की.एक अच्छे तांत्रिक से विश्लेषण करा किस प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा है यह पता लगाने की जरूरत होती है.आप छोटे -छोटे टोने -टोटके मत आजमाइए. गली ,मुहल्ले ,गाँव के ओझा गुनिया भी आपकी पर्याप्त मदद नहीं कर पायेंगे क्यंकि यह कोई भूत -प्रेत नहीं ,यह भिन्न समग्र नकारात्मक ऊर्जा है.उपरोक्त प्रभाव यद्यपि बहुत गंभीर की श्रेणी में नहीं आते किन्तु उपाय गंभीरता से ही करने होते हैं.इनसे भी अधिक गंभीर श्रेणी के प्रभाव हम अपने अगले लेख में लिख रहे हैं जिन्हें भी आपको अवश्य देखना चाहिए.यदि उपरोक्त प्रभाव या लक्षण आपको आपके घर में मिलते हैं तो आप अच्छे तंत्र जानकार से अवश्य मिलिए और उपाय कीजिये या करवाइए आपको राहत मिलेगी.
आप इस हेतु हमसे भी सम्पर्क कर सकते हैं.
किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें -9131366453