पलपल संवाददाता, जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने पूर्व ग्राम पंचायत जमतरा को नगर निगम सीमा में शामिल किए जाने व बिना विकास के कर रोपण किये जाने को चुनौती देने वाले मामले को गंभीरता से लिया. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस संजय द्धिवेदी की युगलपीठ ने उक्त जनहित याचिका की पूर्व से विचाराधीन ननि सीमा में ग्राम पंचायत के विलय किये जाने को चुनौती देने वाले मामले के साथ संयुक्त रूप से करने के निर्देश दिये है.

यह जनहित याचिका जमतरा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच अजय यादव व शिव शरण शर्मा की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि पूर्व ग्राम पंचायत जमतरा  जबलपुर नगर निगम के वर्तमान वार्ड क्रमांक 67 के अंतर्गत है. वर्ष 2014 में  ग्राम पंचायत को नगर निगम जबलपुर में सम्मिलित करने की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि संविधान के अनुच्छेद 243 क्यू में किसी ग्रामीण क्षेत्र को नगरीय क्षेत्र में सम्मिलित करने का विवेकाधिकार राज्यपाल में निहित है.

 इतना नहीं राज्यपाल उस ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या व उसका घनत्व, स्थानीय प्रशासन हेतु प्राप्त राजस्व व गैर कृषि गतिविधियों में रोजगार का प्रतिशत, आर्थिक महत्व जैसे कारकों के परिप्रेक्ष्य विवेकाधिकार का प्रयोग कर किसी क्षेत्र को नगरीय सीमा में सम्मिलित करने की अधिसूचना जारी करेंगे किन्तु ग्राम पंचायत जमतरा को उक्त प्रावधान का पालन किये बिना नगरीय क्षेत्र में सम्मिलित किया गया है. उक्त लंबित मामले में अब तक सरकार की ओर से जवाब नहीं दिया गया है. आरोप है कि पिछले पांच वर्षों में नगर निगम ने पूर्व ग्राम पंचायत जमतरा में विकास के कोई भी कार्य नहीं किये हैं. न तो सड़कें, पेयजल, स्ट्रीट लाइट आदि जैसी कोई सुविधा नहीं है. इसके बावजूद कर की वसूली की जा रहीं है. आवेदकों की ओर से कहा गया कि जब तक न्यायालय में यह प्रश्न विवादित है कि ग्राम पंचायत को नगर निगम में सम्मिलित करना संवैधानिक है या नहीं, नगर निगम को बिना विकास कार्य किये कर वसूली नहीं करना चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से असीम त्रिवेदी, रीतेश शर्मा, अपूर्व त्रिवेदी पैरवी कर रहे हैं.