कुण्डली के अनुसार जातक को रत्न धारण करवाया जाए तो भाग्य पलटने मे भी देर नही लगती और उन्ही रत्नो मे सबसे जल्दी प्रभाव देने वाला रत्न है.
नीलम रत्न को पहनने के लिए कुंडली में निम्‍न योग होने आवश्‍यक : 
जो न्यायालयो मे कार्य कर रहे हैं या जाना चाहते हैं वो जातक नीलम धारण कर सकते हैं.
लोहा ,सिमेंट, स्टील का व्यापार करने वाले जातक भी नीलम धारण कर सकते हैं.
बिल्डर्स का काम करने वाले या जो बडी बडी फैक्ट्रीयो मे कार्य रत है या जो वहा के owner है वो भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं.
इन्जीनियर के क्षेत्र मे कार्य करने वाले भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं.
चमडे से सम्बंधित काम करने वाले भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं.
वृष, तुला, मकर ,कुभ लग्‍न वाले व्यक्ति भी नीलम को धारण कर सकते हैं.
चौथे, पांचवे, दसवें और ग्‍यारवें भाव में शनि हो तो नीलम जरूर पहनना चाहिए.
धनु लग्न के जातक भी नीलम धारण कर सकते हैं. अगर शनि भाग्य भाव मे बैठा पर जीवन के 34 वे वर्ष के बाद मे ही इस रत्न को धारण करे वो सब कुछ मीलेगा जीसके लिए जातक काफी समय से परिश्रम कर रहा है
कुण्डली मे शनि वक्री हो या अंश कम हो  शुभ ग्रह से दृष्ट हो योगकारक भावो का स्वामी हो तो नीलम धारण कर सकते हैं.
नसों से सम्बंधित रोग वात ,गठीया, लकवा,दन्त रोग या जो लम्बे समय से बिमार है वे भी नीलम धारण कर सकते हैं पर कुण्डली मे शनि कि स्थिती देखकर,
शनि छठें और आठवें भाव के स्‍वामी के साथ बैठा हो या स्‍वयं ही छठे और आठवें भाव में हो  या मारकेश ग्रहो के साथ बैठा हो तो भी नीलम रत्न धारण ना करे,
शनि की साढेसाती या ग्रह कि महादशा  में नीलम धारण करना लाभ देता है. बशर्ते योगकारक हो और शुभ भाव मे हो तब,
शनि की सूर्य ,शनि केतु, राहु शनि, युती मे  या शनि नीच राशि का हो तोभी नीलम धारण ना करे,
शनि चन्द्र कि युती अगर द्वितीय, चतुर्थ, एकादश मे हो तो धारण कर सकते हैं अन्यथा नही,
मेष, वृश्चिक लग्न वाले जातक इस रत्न को धारण ना करे अगर पहना जरूरी हो जाए तो ग्रह गोचर कि स्थिती देखकर,ही धारण करे,
ध्यान रहे नीलम अष्टधातु मे ही धारण करें  और हमेशा के लिए नीलम धारण ना करे शुभ ग्रह गोचर दशा योगकारक होने पर ही इसे धारण करना चाहिए,,,,,
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