चंडीगढ़. 17 फरवरी 2021 की सुबह कांग्रेस के लिए खुशियां लेकर आई. पंजाब में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनावों में पार्टी को भारी जीत मिली है. वहीं अकाली दल को एनडीए का साथ छोडऩे से भी कोई फायदा नहीं हुआ. जबकि भाजपा को तो भयंकर नुकसान उठाना पड़ा है. भाजपा अपने प्रभाव वाली सीटों को भी नहीं बचा सकी. वहीं भाजपा के साथ मिलकर अकाली को फायदा पिछली बार हुआ था, वह भी इस बार हाथ से निकल गया है. कांग्रेस पार्टी इस जीत को कृषि कानून के खिलाफ जनसमर्थन मान रही है.

हालांकि चुनावी विश्लेषक इसे कांग्रेस का फायदा नहीं बल्कि भाजपा का नुकसान मान रहे हैं. 2017 के निकाय चुनावों में भी कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई थी. उस समय पार्टी को 267 में जीत हासिल हुई थी. 29 नगरीय निकायों में से 20 में पार्टी की विजय पताका फहराई थी. जबकि शिरोमणि अकाली दल को 37, भाजपा को 15 और आम आदमी पार्टी को केवल एक वार्ड पर जीत का स्वाद मिला था. शेष 94 वॉर्ड्स में निर्दलीय जीते थे.

इन परिणामों की आज आए परिणाम से तुलना की जाए तो कांग्रेस को बढ़त हासिल हुई है और भाजपा तथा अकाली दल को नुकसान हुआ है. कांग्रेस पार्टी ने इन परिणामों को विधानसभा चुनाव के मतदान का पूर्वानुमान बताया है.

गौरतलब है कि पंजाब में 14 फरवरी को 117 स्थानीय निकायों पर चुनाव हुए थे, जिसमें से 109 नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत हैं. इसमें आठ नगर निगम भी शामिल हैं. इनमें नगर निगम अबोहर, बठिंडा, बाटला, कपूरथला, मोहाली, होशियारपुर, पठानकोट और मोगा शामिल हैं. राज्य के निकायों में कुल 2252 वॉर्ड्स हैं. कुल 9,222 प्रत्याशियों ने इन चुनावों में अपना भाग्य आजमाया था. 

खास बात यह है कि तीन कृषि कानूनों के लागू होने के बाद किसानों का आंदोलन शुरू हो गया था. आंदोलन की आंच को महसूस करते हुए शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला किया था. अकाली दल ने यह कदम किसानों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और लोकप्रियता को मजबूत करने की गरज से उठाया था. लेकिन एनडीए छोडऩे का जो फैसला अकाली दल ने लिया उसका फायदा उसे निकाय चुनावों में नहीं मिला. यही हाल भाजपा का भी रहा. पार्टी के मजबूत किले किसानों के गुस्से से ढह गए. 

किसानों का असर

इस बार के निकाय चुनावों पर किसान आंदोलन का व्यापक असर दिखाई दिया है. अबोहर से अरुण नारंग भाजपा विधायक हैं. यहां नगर निगम के 50 वार्डों में से 49 वार्डों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई है. वहीं केवल वार्ड अकाली दल के उम्मीदवार को प्राप्त हो पाया. होशियारपुर को भाजपा का गढ़ माना जाता है. यहां पूर्व कैबनिट मंत्री तीक्षण सूद की पत्नी चुनाव हार गई हैं. होशियारपुर में कुल 50 वार्डों में से 41 पर कांग्रेस, 4 पर भाजपा, 2 पर आप और 3 उम्मीदवार अन्य के जीते हैं.

गुरदासपुर से सन्नी देओल भाजपा के सांसद हैं. वहां के सभी वॉर्ड्स में कांग्रेस को जीत हासिल हुई है. जलालाबाद से अकाली दल सुप्रीमो सुखबीर बादल विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं वहां पर भी कांग्रेस का झंडा लहरा गया है. हरसिमरत कौर बादल जो बठिंडा से सांसद हैं, वहां के 50 वार्डों में से 43 पर कांग्रेस तो सात वार्डों में अकाली दल के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं.