नजरिया. पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर जिस बयान का इंतजार था, वह आ गया है और आप भरोसा करना चाहो तो भरोसा भी कर सकते हो, पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि मध्यम वर्ग को ऐसी कठिनाई नहीं होती, यदि पहले की सरकारों ने ऊर्जा आयात की निर्भरता पर ध्यान दिया होता, मतलब- इस समस्या के लिए भी 2014 से पहले की सरकारें ही जिम्मेदार हैं?

उल्लेखनीय है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार नौवें दिन तेजी के बाद देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत पहली बार शतक पार चली गई हैं.

पीएम मोदी का कहना है कि 2019-20 में भारत ने अपनी घरेलू मांगों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत तेल और 53 प्रतिशत गैस का आयात किया है.

खबर है कि दक्षिण भारत के एक उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री का सवाल था- क्या हमें आयात पर इतना निर्भर होना चाहिए?

वे बोले- मैं किसी की आलोचना नहीं करना चाहता लेकिन यह जरूर कहना चाहता हूं कि यदि हमने इस विषय पर ध्यान दिया होता, तो हमारे मध्यम वर्ग को बोझ नहीं उठाना पड़ता. स्वच्छ और हरित ऊर्जा के स्रोतों की दिशा में काम करना और ऊर्जा-निर्भरता को कम करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है!

सियासी सयानों का मानना है कि पीएम मोदी ने अपनी सियासी चतुराई के अनुरूप इस समस्या को भी पहले की सरकारों की झोली में डालने की कोशिश की है, यह देखना दिलचस्प होगा कि कितने लोग इस पर भरोसा करते हैं?

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