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महाकवि माघ संपूर्ण विश्व में संस्कृत जगत के दैदीप्यमान सितारे: गढ़वाल

महाकवि माघ संपूर्ण विश्व में संस्कृत जगत के दैदीप्यमान सितारे: गढ़वाल

निम्बाहेडा. अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश दिनेश गढवाल ने महाकवि माघ के जीवनवृत को आधार बनाकर उनके द्वारा विरचित बृहितृयी के अंतर्गत शिशुपाल वध ग्रंथ पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि यह महाकाव्य के सभा पर्व में वर्णित कथा को आधार मानकर महाकवि माघ द्वारा रचा गया था जिसकी तुलना आज तक संपूर्ण विश्व में किसी भी संस्कृत के कवि के काव्य से नहीं की जा सकती. गढवाल शुक्रवार को श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय एवं राजस्थान संस्कृत अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में माघ महोत्सव के तहत विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन सभागार में आयोजित चतुर्वेद पारायण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि महाकवि माघ राजस्थान के ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में संस्कृत जगत के दैदीप्यमान सितारे है जिन्होंने भारत को और भारतीय संस्कृति को संपूर्ण विश्व में अपने ग्रंथ के माध्यम से प्रतिष्ठित करते हुए भारत को गौरव प्रदान किया. उन्होंने महाकवि माघ के जीवन वृतांत का परिचय देते हुए कार्यक्रम को अप्रतीम, अतुलनीय बताया तथा महाकवि माघ के महाकाव्य में धर्मदर्शन, कृषि के विषद विवेचन को प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय परिवार की भूरी भूरी प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय संपूर्ण राष्ट्र को एकता में पिरोने का कार्य कर रहा है.

वेदों में विज्ञान निहित: ओझा

चतुर्वेद पारायण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव सुनील कुमार ओझा ने कहा कि वेदों में विज्ञान निहित है. हमारे ऋषि मुनि अनुसंधानकर्ता और ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्हें जीवाणु, किटाणु, विषाणुओं का पूरा ज्ञान था. उन्होंने कहा कि वेदों में समस्त ग्रहों के परिभ्रमणकाल और शरीर के अंगो पर गृहों के प्रभाव के बारे में भी हमारे प्राचीनतम ऋषि मुनियों ने अपना दर्शन दे दिया था जो आज भी शास्वत सत्य है. उन्होंने विश्वविद्यालय एवं वेदपीठ के बटुकों द्वारा किये गये सस्वर चतुर्वेद पारायण पर मंत्रमुग्ध होते हुए विश्वास दिलाया कि यह विश्वविद्यालय विश्व के वैदिक मानचित्र पर अपनी अनूठी छाप छोडेगा.

कार्यक्रम संरक्षक एवं विश्वविद्यालय चेयरपर्सन कैलाश मूंदडा ने कहा कि लगभग डेढ दशक पूर्व वेद भगवान की सेवा के लिए इस विश्वविद्यालय की नींव रखी गई थी जो आज पुष्पित और पल्लवित होते हुए संपूर्ण राष्ट्र में वैदिक शिक्षा के पर्याय के रूप में कल्याण लोक और निम्बाहेडा को नई पहचान दे रहा है. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण चारों वेदों का पारायण, पूजन आदि था. इस अवसर पर वेद विभागाध्यक्ष दीपक पालीवाल ने चारों वेदों का परिचय देते हुए ऋग्वेद की 21 शाखाओं के विलुप्तिकरण के बाद शेष बची तीन शाखाओं के संरक्षण की चिंता करते हुए सभी से वैदिक शिक्षा के संरक्षण का आव्हान किया. वेदपीठ के अथर्ववेद आचार्य संदीप शर्मा ने आगंतुको के प्रति आभार व्यक्त किया जबकि यजुर्वेद आचार्य त्रिलोक शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम का संचालन दीपक पालीवाल ने किया जबकि कुलसचिव डाॅ मधुसूदन शर्मा, शोध निदेशक प्रो. दीपक कुमार कर, ज्योतिष विभागाध्यक्ष डाॅ मृत्यूंजय तिवारी, ग्रंथालय विभागध्यक्ष डाॅ अश्विनी यादव, योग विभागाध्यक्ष जसबीर शास्त्री सहित विश्वविद्यालय एवं वेद विद्यालय के बटुक, वेदपीठ के न्यासी आदि मौजूद थे.

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-



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