खबरंदाजी. विश्व के वैज्ञानिकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही है कि- एक फोन कॉल की दूरी कितनी होती है?
आमतौर पर जब किसी चालक से पूछा जाए कि यह जगह कितनी दूर है, तो दो तरह के जवाब मिलते है, एक- इतने किलोमीटर या दो- इतने घंटे लगेंगे!
लेकिन, पीएम मोदी की सियासी चालाकी ने बड़े-बड़ों को उलझन में डाल दिया है, उनका कहना था कि वे आंदोलनरत किसानों से केवल एक फोन कॉल की दूरी पर हैं?
अब, इस बयान के बाद इतने दिन गुजर गए हैं, तो दूरी नापने का समय का पैमाना तो बेकार हो गया और किसानों से मिलने पीएम मोदी, कच्छ, गुजरात तो चले गए थे, किन्तु दिल्ली सीमा तक नहीं पहुंच पाए, मतलब- एक फोन कॉल की दूरी दिल्ली-गुजरात से तो ज्यादा ही है!
किसान नेता राकेश टिकैत तो उस बयान के बाद से ही वह फोन नंबर तलाश रहे हैं, जहां से एक फोन कॉल की दूरी पर पीएम मोदी हैं, किन्तु मिल नहीं पाया.
खबरें थी कि गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के महासचिव आशीष मित्तल का कहना था कि ये सरकार पर ही निर्भर करता है कि वो किसानों के सामने वार्ता के लिए कोई बेहतर प्रस्ताव रखे.
उनका कहना था कि किसान प्रधानमंत्री के विचारों का सम्मान करते हैं, लेकिन साथ ही उनका सवाल था कि सरकार किसानों को कैसे संतुष्ट कर पाएगी कि जो प्रधानमंत्री कह रहे थे, वो सच है. जिस दिन मोदी जी ने कहा कि वो एक फोन काल की दूरी पर हैं, अगले दिन ही किसानों के प्रदर्शन स्थलों के आसपास एक बड़े दायरे में नेटवर्क की सेवाएं ठप कर दी गयीं. हम कैसे विश्वास करें?
सियासी सयानों का मानना है कि एक फोन कॉल की दूरी जैसे उलझानेवाले बयान देने में पीएम मोदी एक्सपर्ट हैं, लिहाजा एक फोन कॉल की दूरी कितनी होती है, यह जानना वैज्ञानिको के लिए भी मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-वैदिक विश्वविद्यालय में हिन्दू मठों विषयक त्रिदिवसीय ज्ञानकुंभ 20 से
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