गढ़वा. झारखंड के गढ़वा में अनोखा मामला सामने आया. पंचों ने घोड़े के असली मालिक का पता लगाने के लिए बीरबल की बुद्धि लगाई. दरअसल यहां एक घोड़े पर चार लोगों ने अपना दावा ठोक दिया था. इस विवाद को सुलझाने के लिए गांव में पंचायत हुई. और पंचों के सामने ही घोड़े ने खुद से अपना मालिक ढूंढ़ लिया.
दरअसल गढ़वा जिले के डंडई प्रखंड के सूअरजंघा गांव के रहने वाले मंगल भुइयां को दो महीने पहले जंगल में एक घोड़ा मिला. वह कहीं से भटक कर जंगल आ गया था. मंगल ने उसे पकड़ कर अपने घर ले आया, लेकिन उसने गांव के लोगों को बताया कि घोड़ा खरीदकर लाया है. ग्रामीणों ने भी उसकी बात मान ली. मंगल ने घोड़े को तूफान नाम दिया. और अच्छी तरह से उसकी देखभाल करने लगा.
कुछ दिन बाद दो लोग सूअरजंघा गांव पहुंचे. दोनों ने अपना नाम अमानत अंसारी और सदीक अंसारी बताया. और खुद को मेराल का कारोबारी बताते हुए घोड़े पर दावा ठोका. उन्होंने कहा कि वे लोग घोड़े के व्यापारी हैं और उन्हें पता चला कि उनका एक घोड़ा इस गांव में आ गया है. मंगल भुइयां ने उनका विरोध किया और उन्हें बंधक बना लिया. हंगामे के दौरान पास के पचौर गांव से एक और घोड़े के दावेदार वहां पहुंच गया. उसने अपना नाम प्रह्लाद साव बताते हुए खुद को घोड़े का असली मालिक बताया.
अब स्थिति ऐसी थी कि घोड़ा एक और दावेदार चार-चार थे. विवाद पेंचिदा होता देख गांव के मुखिया अजय सिंह को मौके पर बुलाया गया. मुखिया ने विवाद सुलझाने के लिए पंचायत बुलाई. पंचों ने घोड़े को दूर बांध दिया और चारों दावेदार को बारी-बारी से घोड़े के पास भेजा गया. पचौर गांव के प्रह्लाद को देखते ही घोड़ा उससे लिपटने लगा. घोड़े का व्यवहार देखकर पंचों ने असली मालिक को खोज लिया. और फिर घोड़ा प्रह्लाद को सौंप दिया. पंचों ने मंगल को झूठ बोलने के लिए डांट पिलाई. दोनों सौदागरों को भी चेतावनी देकर गांव से जाने के लिए कहा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-झारखंड: रांची में अफगानी नागरिक ने सरकारी जमीन खरीदकर करा ली रजिस्ट्री, मचा हड़कंप
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