राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी बनीं अंतरराष्ट्रीय ब्रह्माकुमारीज संस्थान की स्प्रीचुअल हेड

राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी बनीं अंतरराष्ट्रीय ब्रह्माकुमारीज संस्थान की स्प्रीचुअल हेड

प्रेषित समय :16:25:42 PM / Tue, Mar 16th, 2021

नई दिल्ली. राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को अंतरराष्ट्रीय ब्रह्माकुमारीज संस्थान का स्प्रीचुअल हेड बनाया गया है. ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रबंधन समिति ने ये फैसला लिया है, इससे पहले राजयोगितनी दादी रतनमोहिनी संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका के तौर पर पदस्थ थीं. 

बता दें कि राजयोगिनी दादी ह्दयमोहिनी के देहांत के बाद राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी को ये पद दिया गया है. ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रबंधन समिति के सदस्य और सूचना निदेशक बीके करूणा ने बताया कि दादी रतनमोहिनी को अंतरराष्ट्रीय ब्रह्माकुमारीज संस्थान का स्प्रीचुअल हेड बनाया गया है. 

इसके अलावा राजयोगिनी ईशू दादी को एडिशनल स्प्रीचुअल चीफ की भूमिका भी दी गई है. वहीं डॉक्टर निर्मला ज्ञान सरोवर अकादमी के ज्वाइंट स्प्रीचुअल चीफ का पदभार भी वही संभालेंगी. बता दें कि राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी का जन्म 25 मार्च, 1925 को हैदराबाद के सिंध में हुआ था.

उनकी आयु 11 साल थी, जब वो ब्रह्माकुमारीज संस्थान के साकार संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के संपर्क में आईं और इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज उनकी उम्र 96 साल है लेकिन इसके बाद भी पूरी तरह से सक्रिय हैं. इनकी दिनचर्या सुबह 3.30 बजे से शुरू होती है और रात दस बजे तक उनकी ईश्वरीय सेवाओं की गतिविधियां चलती रहती हैं. 
इसके अलावा राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी संस्थान में आने वाली बहनों के प्रशिक्षण और उनके नियुक्ति का भी कार्यभार देखती हैं. ब्रह्माकुमारीज संस्थान में समर्पित होने से पहले दादी के सानिध्य में युवा लड़कियों का प्रशिक्षण चलता है, इसके बाद ही वे ब्रह्माकुमारी कहलाती हैं.

इसके साथ ही राजयोगितनी दादी रतनमोहिनी युवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा भी हैं. दादी रतनमोहिनी ने अपने 96 वर्ष की उम्र में से 85 वर्ष पूरी तरह से आध्यात्म, राजयेाग, ध्यान और मानव मात्र की सेवा में दिया है. उनके सानिध्य से आज 46,000 बहनों ने इस संस्थान में समर्पित होने का गौरव प्राप्त किया है.

दादी रतनमोहिनी संस्थान के स्थापना काल की सदस्यों में से एक हैं. दादी के निर्देशन में कई बड़ी पदयात्राओं, रैलियों के जरिए करोड़ो लोगों में भारतीय संस्कृति और मूल्यों को प्रेरित करने की प्रमुख भूमिका रही है. इसके साथ ही वे देश-विदेश में भी ईश्वरीय सेवाएं करती रही हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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