होली के रंगों में चोबा, अगरू, अरगजा, कुमकुमा और टेसू का नाम शायद आज के समय में कई लोगों ने सुना भी नहीं होगा. यह वो प्राकृतिक रंग हैं, जिनसे ब्रज की होली की खुश्बू धरा से अंबर तक महकती है. आज भी अलीगढ़ में टेसू के फूलों से होली खेले जाने की पंरपरा कायम है. 100 वर्षों से भी ज्यादा समय से चली आ रही होलिका दहन से पूर्व की यह प्रथा आज भी कायम है. पूरी तालानगरी इस दिन बसंती रंग में रंगी नजर आती है. इस बार 28 मार्च को टेसू के फूलों से होने वाली होली का आयोजन होने जा रहा है.
ब्रज की होली का आकर्षण देश ही नहीं दुनिया में देखने को मिलता है. ब्रज की होली की यह ख्याति सदियों से है. स्वर्ग बैकुंठ में होरी जो नांहि, तो कहा करैं लै कोरी ठकुराई...किशनगढ़ रियासत के महाराज नागरीदास का यह पद ब्रज की होली के इस प्राचीन वैभव को दर्शाता है. ब्रजक्षेत्र में बसंत पंचमी से ही होली का उत्सव शुरू हो जाता है. ब्रजक्षेत्र में आने वाले अलीगढ़ के मंदिरों में भी होली शुरू हो जाती है. ठाकुर जी की पोशाक, शृंगार से लेकर भोग तक में इसकी झलक दिखाई देती है. इसमें ब्रज की प्राचीन पारंपरिक होली से जुड़ा परिदृश्य देखने को मिलता है. बेशक अब होली के परिदृष्य में प्राकृतिक रंग सिर्फ गायन तक ही सिमट कर रह गए हैं. मंदिरों में होली के रंगों में ये अब नजर नहीं आते हैं. अब सिर्फ कुछ मंदिरों में टेसू के फूलों का रंग भले ही इस परंपरा को निभाए हुए हैं. अलीगढ़ के बाजारों में टेसू के फूलों से होने वाली ब्रज की इस परंपरा को आज भी कायम रखे हुए है. यहां इसे छोटी होली के नाम से भी पहचाना जाता है. होलिका दहन से पूर्व पुराने शहर के बाजारों में बड़े-बड़े ड्रमों में टेसू के फूलों से तैयार होने वाले रंग से होली खेली जाती है.
होली पर टेसू के पानी से नहाएं
टेसू के फूलों से रंग बनाकर सिर्फ होली ही नहीं खेले बल्कि इसके पानी नहाएं भी जरूर. पर्यावरणविदों के अनुसार टेसू के फूलों को रात में पानी में भिगोकर रख दें. सुबह इस पानी को महीने कपड़े से छान लें. जिससे कि फूल, पत्ती अलग हो जाएंगी और बचे पानी को नहाने में उपयोग करें. इस पानी के नहाने मात्र से ताजगी का अहसास होता है. इसका इस्तेमाल करने वाले को लू भी नहीं लगती और गर्मी भी कम ही लगती है.
ये हैं टेसू के फूल के फायदे-
-इसको घिसकर चिकन पाक्स के रोगियों को लगाया जाता है
-असाध्य चर्म रोगों में भी लाभप्रद होता है
-हल्के गुनगुने पानी में डालकर सूजन वाली जगह धोने से सूजन समाप्त हो जाती है
-टेसू के फूल को सुखाकर चूर्ण बना लें. इसे नीबू के रस में मिलाकर लगाने से त्वचा रोग में लाभ होता है.
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