खत्म हुआ कुंभ, जूना अखाड़े ने 13 दिन पहले समाप्त करने की घोषणा की, अन्य अखाड़ा पहले ही कर चुके हैं ऐलान

खत्म हुआ कुंभ, जूना अखाड़े ने 13 दिन पहले समाप्त करने की घोषणा की, अन्य अखाड़ा पहले ही कर चुके हैं ऐलान

प्रेषित समय :19:50:06 PM / Sat, Apr 17th, 2021

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद साधु-संतों ने हरिद्वार कुंभ को तय समय से पहले खत्म करने पर सहमति दे दी है. हालांकि कुंभ में प्रतीकात्मक तौर पर धार्मिक आयोजन होते रहेंगे. इससे पहले कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से बात की थी. उन्होंने कुंभ में लोगों के जमावड़े को खत्म कर उसे सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर सीमित रखने की अपील की थी. जूना अखाड़े की तरफ से शनिवार शाम को कुंभ खत्म करने की घोषणा कर दी गई. निरंजनी और आनंद अखाड़ा पहले ही अपनी ओर से कुंभ समाप्ति की घोषणा कर चुके हैं.

कुछ अखाड़े समय से पहले कुंभ मेला समाप्त करने की बात से नाराज थे. उनका कहना था कि मेला तय समय तक ही चलना चाहिए. इन साधु-संतों को मनाने के लिए उत्तराखंड सरकार पिछले 2 दिन से गुप्त बैठकें कर रही थी. दरअसल, केंद्र सरकार मेला जल्द से जल्द खत्म कराना चाहती है, लेकिन वह यह नहीं चाहती थी कि इसके लिए कोई सरकारी निर्देश जारी किया जाए. बल्कि, केंद्र साधु-संतों से खुद मेला खत्म होने की घोषणा कराना चाहती थी.

केंद्र ने इस बात के प्रबंधन का जिम्मा तीरथ सरकार को दिया था. सभी अखाड़ों के साथ गोपनीय सरकारी बातचीत चली. इन बैठकों का असर भी दिखा. दो दिन पहले निरंजनी और आनंद अखाड़े ने अपनी ओर से मेला समाप्ति की घोषणा कर दी थी. अब जूना अखाड़े के कुंभ खत्म करने के ऐलान से सरकार ने राहत की सांस ली है.

कुंभ खत्म करने पर अखाड़ों में मतभेद

कुंभ को समय से पहले खत्म करने की कोशिशों से कई अखाड़े नाराज थे. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और श्री जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री महंत हरि गिरि ने कहा कि निरंजनी अखाड़े की ओर से कुंभ समाप्ति के ऐलान के पीछे सरकार का हाथ हैं. वे कहते हैं कि कोई एक अखाड़ा कुंभ खत्म करने की घोषणा नहीं कर सकता. कुंभ एक धार्मिक आयोजन है. अखाड़े इसके आयोजक हैं. इसलिए अगर सरकार भी चाहे तो बिना अखाड़ों की सहमति के कुंभ नहीं बंद कर सकती.

अखाड़ों में संक्रमण की तेज रफ्तार

उधर, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने चेताया है कि मेले की भीड़ अगर तुरंत कम नहीं की गई तो हालात बहुत गंभीर हो जाएंगे और अखाड़ों के शिविर कोरोना कैंप बनने में देर नहीं लगेगी. सूत्रों के मुताबिक, पुलिस- प्रशासन के अधिकारी भी हाथ खड़े कर चुके हैं और सभी ने मेला खत्म करने की सलाह दी है.

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