नजरिया. मोदी टीम ने कोरोना जैसी महामारी को भी नजरअंदाज करके, ऐसी सियासी कुर्सी दौड़ शुरू की है जिसने देश की ऐसी हालत कर दी है कि राजनेता जनता को भूलकर केवल अपनी कुर्सी की चौकीदारी कर रहे हैं.
बिहार में मजबूरी में भले ही बीजेपी ने नीतीश कुमार को सत्ता सौंप दी हो, लेकिन कब सत्ता उनके हाथ से निकल जाएगी, कह नहीं सकते, यही वजह है कि नीतीश कुमार की भी पूरी सियासी ताकत अपनी सुरक्षा दीवार की चौकीदारी में ही लगी है, नतीजा?
खबरें हैं कि बिहार मेें कोरोना का कहर इस कदर बढ़ता जा रहा है कि मोक्षधाम पर भी वेटिंग चल रही है, हालत यह है कि बीस से ज्यादा घंटे तक दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में परिजनों की परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है, जिन्हें पहले अस्पताल में बेड के लिए इंतजार करना पड़ा और बाद में उन्हें श्मशान घाट पर भी भूखे-प्यासे इंतजार करना पड़ रहा है.
खबरों की माने तो शवों की संख्या बढ़ने के कारण श्मशान घाटों की व्यवस्था चरमरा गई है, क्योंकि पिछले साल के सापेक्ष इस बार कोरोना से मरने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है. पिछले साल जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था, तब करीब 20 से 25 शव जलाए जाते थे, जो इस बार यह संख्या ढाई से तीन गुना तक हो गई है.
आश्चर्य की बात है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार की जनता को मुफ्त वैक्सीन देने का वादा किया गया था, लेकिन बिहार जैसे राज्यों को वैक्सीन देने के बजाए विदेश में वैक्सीन देना मोदी सरकार की प्राथमिकता रही. इसका परिणाम सबके सामने हैं.
मोदीजी, कोरोना संक्रमण के कारण जो नहीं रहे, उन्हें तो अब केवल श्रद्धांजलि ही दी जा सकती है, अगली मन की बात में यही दे देना!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दुनिया में कोरोना मामलों का आंकड़ा 14.68 करोड़ के पार, 31 लाख से अधिक लोगों की मौत
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